नवीनतम लेख

रात भादो की थी, छाई काली घटा(Raat Bhado Ki Thi Chhai Kali Ghata)

रात भादो की थी,

छाई काली घटा,

कृष्ण का जन्म लेना,

गजब हो गया,

पहरे दार सभी,

सो गए जेल के,

माया भगवन की रचना,

गजब हो गया,

रात भादों की थी,

छाई काली घटा ॥


लेके मोहन को,

वसुदेव गोकुल चले,

नाम भगवन का,

ह्रदय में लेके चले,

देखे यमुना के तट पे,

है मोहन खड़े,

पैर यमुना का छुना,

गजब हो गया,

रात भादों की थी,

छाई काली घटा ॥


जाके गोकुल से,

वसुदेव लाए लली,

और मोहन को छोड़ा,

लली की जगह,

जब सुबह को खबर,

कंस ने ये सुनी,

उसका धीरज ना बंधना,

गजब हो गया,

रात भादों की थी,

छाई काली घटा ॥


दौड़ा दौड़ा गया,

वो पापी जेल में,

लेके फोरन चला,

वो उसे मारने,

ज्यूँ ही कन्या को,

ऊपर उठाने लगा,

उसको ऊपर उठाना,

गजब हो गया,

रात भादों की थी,

छाई काली घटा ॥


उसने चाहा की मारू,

शिला से इसे,

छुट के वो गई,

कन्या आकाश में,

करने आकाश वाणी,

वो कन्या लगी,

तेरा कन्या को मारना,

गजब हो गया,

रात भादो की थी,

छाई काली घटा ॥


रात भादो की थी,

छाई काली घटा,

कृष्ण का जन्म लेना,

गजब हो गया,

पहरे दार सभी,

सो गए जेल के,

माया भगवन की रचना,

गजब हो गया,

रात भादों की थी,

छाई काली घटा ॥

बुहा खोल के माये, जरा तक ते ले (Buha Khol Ke Maaye Zara Tak Te Le)

बुहा खोल के माये,
जरा तक ते ले,

जनेऊ/उपनयन संस्कार पूजा विधि

जनेऊ संस्कार को उपनयन संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार है। यह संस्कार बालक के जीवन में एक नया अध्याय शुरू करने का प्रतीक है।

प्रदोष व्रत के खास उपाय क्या हैं?

प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक पवित्र व्रत है, जो हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जो शिव भक्तों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना गया है।

हमको अपनी भारत की माटी से अनुपम प्यार है (Hamako Apani Bharat Ki Mati Se Anupam Pyar Hai)

इस धरती पर जन्म लिया था दसरथ नंन्दन राम ने,
इस धरती पर गीता गायी यदुकुल-भूषण श्याम ने ।