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स्वागतं कृष्णा शरणागतं कृष्णा - भजन (Swagatam Krishna Sharanagatam Krishna)

स्वागतं कृष्णा शरणागतं कृष्णा,

स्वागतं सुस्वागतं शरणागतं कृष्णा,

स्वागतं सुस्वागतं शरणागतं कृष्णा,

स्वागतं कृष्णा शरणागतं कृष्णा ॥


अभी आता ही होगा सलोना मेरा,

हम राह उसी की तका करते हैं,

कविता-सविता नहीं जानते हैं,

मन में जो आया सो बका करते हैं ॥


पड़ते उनके पद पंकज में,

चलते-चलते जो थका करते हैं,

उनका रस रूप पिया करते हैं,

उनकी छवि-छाक छका करते हैं ॥


अपने प्रभु को हम ढूंढ लियो,

जैसे लाल अमोलख लाखों में,

प्रभु के अंग में जितनी नरमी,

उतनी नर्मी नहीं माखन में ॥


स्वागतं कृष्णा शरणागतं कृष्णा,

स्वागतं सुस्वागतं शरणागतं कृष्णा,

स्वागतं सुस्वागतं शरणागतं कृष्णा,

स्वागतं कृष्णा शरणागतं कृष्णा ॥


ओ जंगल के राजा, मेरी मैया को ले के आजा (O Jungle Ke Raja Meri Maiya Ko Leke Aaja)

ओ जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा,

कितना रोई पार्वती, शिवनाथ के लिए (Kitna Roi Parvati Shivnath Ke Liye)

कितना रोई पार्वती,
शिवनाथ के लिए,

अन्वाधान व इष्टि क्या है

सनातन हिंदू धर्म में, अन्वाधान व इष्टि दो प्रमुख अनुष्ठान हैं। जिसमें भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया करते हैं। इसमें प्रार्थना व पूजा कुछ समय के लिए यानी छोटी अवधि के लिए ही की जाती है।

वृश्चिक संक्रांति का मुहूर्त

भगवान सूर्य देव की उपासना का दिन वृश्चिक संक्रांति हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहार में से एक है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को धन वैभव की प्राप्ति के साथ दुःखों से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है इस साल वृश्चिक संक्रांति कब हैं। वृश्चिक संक्रांति 2824 को लेकर थोड़ा असमंजस है।