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राधा के मन में, बस गए श्याम बिहारी(Radha Ke Man Mai Bas Gaye Kunj Bihari)

श्याम रंग में रंग गई राधा,

भूली सुध-बुध सारी रे,

राधा के मन में,

बस गए श्याम बिहारी ॥


श्याम नाम की चुनर ओढ़ी,

श्याम नाम की चुडीयाँ,

अंग-अंग में श्याम समाए,

मिट गयी सारी दूरियाँ,

कानो में कुण्डल गल वैजंती,

माला लागे प्यारी रे,

राधा के मन में,

बस गए श्याम बिहारी ॥


बैठ कदम की डाल कन्हैया,

मुरली मधुर बजाए,

साँझ सकारे मुरली के स्वर,

राधा-राधा गाए,

इस मुरली की तान पे जाए,

ये दुनिया बलिहारी,

राधा के मन में,

बस गए श्याम बिहारी ॥


अधर सुधा रस मुरली राजे,

कान्हा रास रचाए,

कृष्ण रचैया राधा रचना,

प्रेम सुधा बरसाए,

प्रेम मगन हो सब ही बोलो,

जय हो बांके बिहारी,

राधा के मन में,

बस गए श्याम बिहारी ॥


श्याम रंग में रंग गई राधा,

भूली सुध-बुध सारी रे,

राधा के मन में,

बस गए श्याम बिहारी ॥

शिव शम्भू सा निराला, कोई देवता नहीं है (Shiv Shambhu Sa Nirala Koi Devta Nahi Hai)

शिव शम्भू सा निराला,
कोई देवता नहीं है,

फाल्गुन अमावस्या के उपाय

फाल्गुन अमावस्या का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। खासकर पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस अमावस्या से बेहतर दिन ही नहीं है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा और महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों में से एक है। यह व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा और व्रत किए जाते हैं।

क्या है शनि प्रदोष व्रत

सनातन धर्म में भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना के लिए प्रदोष व्रत का काफ़ी खास माना गया है। प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है।

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