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राम रस बरस्यो री, आज म्हारे आंगन में (Ram Ras Barsyo Re, Aaj Mahre Angan Main)

राम रस बरस्यो री,

आज म्हारे आंगन में ।

जाग गये सब सोये सपने,

सभी पराये हो गये अपने,

लगे प्रेम की माला जपने,

लगे राम की माला जपने,

कि अंग-अंग हरस्यो री,

आज म्हारे आंगन में ॥


युग युग के थे नैन तिसाये,

आज पियत सखी बिना पिलाये,

कहां बिठाऊँ मेरे बाबा आये,

कहां बिठाऊँ मेरे सतगुरु आये,

ठौर कोई करस्यो री,

आज म्हारे आंगन में ॥


ठुमक ठुमक मोरी पायल बाजे,

अगल बगल मेरा राम बिराजे,

प्रेमी को तो प्रीत ही साजै,

प्रेमी को तो प्रीत ही साजै,

बहुत दिन तरस्यो री,

आज म्हारे आंगन में ॥


धरती नाची अम्बर नाचा,

आज देवता खुलकर नाचा,

मैं नाची मेरा प्रियतम नाचा,

मैं नाची मेरा सतगुरु नाचा,

प्रेम रस बरस्यो री,

आज म्हारे आंगन में ।।


रुक गई रात, रुका है चन्दा,

साधो! मंगल मौज अनन्दा,

तू निर्दोष अरे क्यूं मन्दा,

तू निर्दोष अरे क्यूं मन्दा,

घड़ी दस बरस्यो री,

आज म्हारे आंगन में ॥

हो लाल मेरी पत रखियो बला - दमादम मस्त कलन्दर (O Lal Meri Pat Rakhiyo Bala Duma Dum Mast Kalandar)

ओ हो, हो हो हो
हो लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण

उंचिया पहाड़ा वाली माँ, हो अम्बे रानी (Uchiya Pahadawali Maa O Ambe Rani)

उंचिया पहाड़ा वाली माँ,
हो अम्बे रानी,

भीष्म अष्टमी कब है, शुभ मुहूर्त एवं योग

माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन बाणों की शय्या पर लेटे भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्याग किए थे। इसलिए सनातन धर्म में यह तिथि अत्यंत शुभ मानी गई है।

नवरात्री वृत कथा (Navratri Vrat Katha)

माँ दुर्गाकी नव शक्तियोंका दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणीका है। यहाँ श्ब्राश् शब्दका अर्थ तपस्या है। ब्रह्मचारिणी अर्थात् तपकी चारिणी-तपका आचरण करनेवाली। कहा भी है वेदस्तत्वं तपो ब्रह्म-वेद, तत्त्व और तप श्ब्राश् शब्दक अर्थ हैं।