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सब धामों से धाम निराला, श्री वृन्दावन धाम(Sab Dhamo Se Dham Nirala Shri Vrindavan Dham)

सब धामों से धाम निराला,

श्री वृन्दावन धाम,

कुँज निकुंज में जहाँ विराजे,

प्यारे श्यामा श्याम,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा ॥


(“गली गली में संत जहाँ,

राधा नाम का जहाँ धन है,

राज चले जहाँ श्यामा जू का,

ऐसा हमारा वृन्दावन है।“)


जहाँ बहती है यमुना रानी,

जिसकी है नील धारा,

कण कण में श्याम समाए,

जरा देखो आके नजारा,

गली गली में संत विराजे,

गली गली में संत विराजे,

जपते कृष्ण को नाम,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा ॥


कहीं बंशी की धुन बाजे,

कहीं छम छम बाजे पायल,

प्याला इस रस का पीकर,

तू हो जइयो रे पागल,

‘चित्र विचित्र’ का ब्रज भूमि को,

‘चित्र विचित्र’ का ब्रज भूमि को,

कोटि कोटि प्रणाम,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा ॥


उसकी किरपा का हरपल,

जहाँ लुटता है भंडार,

मिलता है यहाँ पे सबको,

बांके ठाकुर का प्यार,

युगल चरण में आके हमको,

युगल चरण में आके हमको,

मिल जाए विश्राम,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा ॥


सब धामों से धाम निराला,

श्री वृन्दावन धाम,

कुँज निकुंज में जहाँ विराजे,

प्यारे श्यामा श्याम,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा ॥

भोले बाबा से जिनका सम्बन्ध है (Bhole Baba Se Jinka Samband Hai)

भोले बाबा से जिनका सम्बन्ध है,
उनके घर में आनंद ही आनंद है ॥

विजया एकादशी व्रत कथा 2025

हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के निमित्त व्रत किया जाता है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।

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जय माता दी बोल,
चली आएगी भवानी,

शिव जी बिहाने चले, पालकी सजाई के (Shiv Ji Bihane Chale Paalki Sajaaye Ke)

शिव जी बिहाने चले,
पालकी सजाई के,

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