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श्री गणपति महाराज, मंगल बरसाओ (Shree Ganpati Maharaj Mangal Barsao)

श्री गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ,

शिव जी के प्यारे,

मैया गौरा के दुलारे,

देवों के सरताज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥


प्रथम गजानंद तुमको मनाऊँ,

विनती करूँ कर जोड़ के बुलाऊँ,

सफल करो सब काज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥


रिद्धि और सिद्धि दोनों साथ में लाना,

शुभ और लाभ को भूल ना जाना,

मूषक पर चढ़ आज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥


पुष्पों के हार देवा तुम्हे पहनाऊं,

लाडू और मोदक से भोग लगाऊं,

धुप दिप धरूँ साज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥


भक्त तुम्हारे मिल महिमा गाते,

मधुर मधुर देवा भजन सुनाते,

ढोल मृदंग रहे बाज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥


‘अमर’ तुम्हारे है चरणों का चाकर,

दरश प्रभु दिखला दो आकर,

रख लो हमारी लाज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥


श्री गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ,

शिव जी के प्यारे,

मैया गौरा के दुलारे,

देवों के सरताज,

मंगल बरसाओ,

श्रीं गणपति महाराज,

मंगल बरसाओ ॥

आना गणपति देवा, हमारे घर कीर्तन में (Aana Ganapati Deva Hamare Ghar Kirtan Mein)

आना गणपति देवा,
हमारे घर कीर्तन में,

आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया (Aaj Mithila Nagariya Nihar Sakhiya)

आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!

भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम (Bhar Pichkari Mari Hai Fag Machayo Shyam)

अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्या,

ब्रह्मन्! स्वराष्ट्र में हों, द्विज ब्रह्म तेजधारी (Brahman Swarastra Mein Hon)

वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है।

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