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जाना है मुझे माँ के दर पे (Jana Hai Mujhe Maa Ke Dar Pe)

जाना है मुझे माँ के दर पे,

सुनो बाग के माली,

मेरी माँ के लिए,

माला पिरो दे अजब निराली,

पहन जिसे खुश हो जाए,

मेरी मैया शेरावाली,

मेरी माँ के लिए,

माला पिरो दे अजब निराली ॥


भांत भांत के फूल और कलियाँ,

चुन बगिया से लाना,

श्रद्धा के धागे में प्रेम की,

सुई से फूल सजाना,

मुंह माँगा तुझे दाम मैं दूंगा,

मुंह माँगा तुझे दाम मैं दूंगा,

बात नहीं डर वाली,

मेरी माँ के लिए,

माला पिरो दे अजब निराली ॥


गेंदा गुलाब चमेली चम्पा,

मरुआ और गुलद्वारी,

सूरजमुखी रात की रानी,

मोतिया जूही कचनारी,

संदल कमल मोगरा संग में,

संदल कमल मोगरा संग में,

लाजवंती मतवाली,

मेरी माँ के लिए,

माला पिरो दे अजब निराली ॥


पहने जब माला मेरी माँ,

सुख अमृत बरसा दे,

‘कँवल सरल’ से भक्तो की,

सोई तक़दीर जगा दे,

खिल जाए ‘लख्खा’ के मन की,

खिल जाए ‘लख्खा’ के मन की,

मुरझाई जो डाली,

मेरी माँ के लिए,

माला पिरो दे अजब निराली ॥


जाना है मुझे माँ के दर पे,

सुनो बाग के माली,

मेरी माँ के लिए,

माला पिरो दे अजब निराली,

पहन जिसे खुश हो जाए,

मेरी मैया शेरावाली,

मेरी माँ के लिए,

माला पिरो दे अजब निराली ॥

क्यों घबराता है पल पल मनवा बावरे (Kyun Ghabrata Hai Pal Pal Manva Baware)

क्यों घबराता है,
पल पल मनवा बावरे,

बंसी बजा के मेरी निंदिया चुराई (Bansi Bajake Meri Nindiya Churai)

बंसी बजा के मेरी निंदिया चुराई,
लाडला कन्हैया मेरा कृष्ण कन्हाई,

प्रदोष व्रत की कथा (Pradosh Vrat Ki Katha )

प्राचीनकाल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए पुत्र को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी।

भक्तो के द्वार पधारो (Bhakto Ke Dwar Padharo)

भक्तो के द्वार पधारो,
प्यारे गौरी के ललन,

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