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तेरी महिमा सभी ने बखानी(Teri Mahima Sabhi Ne Bakhani )

तेरी महिमा सभी ने बखानी,

दया हमपे करो अम्बे रानी ॥


हम शरण तेरी आए है,

जग छोड़ कर,

हम शरण तेरी आए है,

जग छोड़ कर,

दुनिया सारी बेगानी,

दया हमपे करो अम्बे रानी,

तेरी महीमा सभी ने बखानी,

दया हमपे करो अम्बे रानी ॥


तेरा दर छोड़ कर,

माँ जाए कहाँ,

तेरा दर छोड़ कर,

माँ जाए कहाँ,

अब थाम लो हाथ भवानी,

दया हमपे करो अम्बे रानी,

तेरी महीमा सभी ने बखानी,

दया हमपे करो अम्बे रानी ॥


मेरा कोई नहीं,

मैया तेरे सिवा,

मेरा कोई नहीं,

मैया तेरे सिवा,

तेरे हाथों में है जिंदगानी,

दया हमपे करो अम्बे रानी,

तेरी महीमा सभी ने बखानी,

दया हमपे करो अम्बे रानी ॥


तुम किरपामाई,

तुम हो करुणामई,

तुम किरपामाई,

तुम हो करुणामई,

भक्तों ने महिमा जानी,

दया हमपे करो अम्बे रानी,

तेरी महीमा सभी ने बखानी,

दया हमपे करो अम्बे रानी ॥


तेरी महिमा सभी ने बखानी,

दया हमपे करो अम्बे रानी ॥

ब्रज होली की पौराणिक कथा

होली का नाम सुनते ही हमारे मन में रंगों की खुशबू, उत्साह और व्यंजनों की खुशबू बस जाती है। यह भारत के सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, लेकिन इसकी उत्पत्ति के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। हालांकि, होली से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं।

अम्बा माई उतरी हैं बाग में हो मां (Amba Mai Utari Hai Baag Me)

अम्बा माई उतरी हैं बाग में हो मां।
(मैय्या, अम्बा माई उतरी हैं बाग में हो मां।)

अरे माखन की चोरी छोड़ साँवरे मैं समझाऊँ तोय (Are Makhan Ki Chori Chhod Sanvare Main Samjhau Toye)

अरे माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय,

फरवरी 2025 में इष्टि कब है

इष्टि यज्ञ वैदिक काल के प्रमुख अनुष्ठानों में से एक है। संस्कृत में ‘इष्टि’ का अर्थ ‘प्राप्ति’ या ‘कामना’ होता है। यह यज्ञ विशेष रूप से मनोकामना पूर्ति और जीवन में समृद्धि लाने के उद्देश्य से किया जाता है।

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