गजानन आये मेरे द्वार(Gajanan Aaye Mere Dwar )

गजानन आए मेरे द्वार॥

श्लोक – वक्रतुंड महाकाय,

सूर्यकोटि समप्रभा,

निर्विघ्नम कुरु मे देव,

सर्वकार्येषु सर्वदा ॥


गजानन आए मेरे द्वार,

गजानन आये मेरे द्वार,

इनकी दया से सब सुख पाते,

इनकी दया से सब सुख पाते,

इनसे चले घर द्वार,

गजानन आये मेरे द्वार ॥


गणपति जब धरती पे आते,

सुख सम्रद्धि संग में लाते,

करने स्वागत लोग है आते,

सबकी सुध वो लेने आए,

सबकी सुध वो लेने आए,

होके मूषक सवार,

गजानन आये मेरे द्वार ॥


पाए जो एकदन्त के दर्शन,

होता सफल उसी का जीवन,

मेरा तन मन उनको अर्पण,

उनसे बंधी है साँसों की डोरी,

उनसे बंधी है साँसों की डोरी,

वो है प्राणाधार,

गजानन आये मेरे द्वार ॥


गौरी सुत है शिव के लाला,

जो फेरे तेरे नाम की माला,

तू है दुखो को हरने वाला,

नैया तू ही पार लगाए,

नैया तू ही पार लगाए,

जो फसे मजधार,

गजानन आये मेरे द्वार ॥


गजानन आये मेरे द्वार,

गजानन आये मेरे द्वार,

इनकी दया से सब सुख पाते,

इनकी दया से सब सुख पाते,

इनसे चले घर द्वार,

गजानन आये मेरे द्वार ॥

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