कृपा करे रघुनाथ जी, म्हने सत देवे सीता माता (Kripa Kare Raghunath Ji Mhane Sat Deve Sita Mata)

कृपा करे रघुनाथ जी,

म्हने सत देवे सीता माता,

श्री बालाजी महाराज,

म्हारे बल बुद्धि रा दाता ॥


जगत पति रघुनाथ जी,

जग जननी सीता माता,

श्री सालासर महाराज,

म्हारे बल बुद्धि रा दाता,

कृपा करें रघुनाथ जी,

म्हने सत देवे सीता माता,

श्री बालाजी महाराज,

म्हारे बल बुद्धि रा दाता ॥


अन्न दाता रघुनाथ जी,

अन्न पूरण सीता माता,

श्री मेहंदीपुर महाराज,

म्हारे बल बुद्धि रा दाता,

कृपा करें रघुनाथ जी,

म्हने सत देवे सीता माता,

श्री बालाजी महाराज,

म्हारे बल बुद्धि रा दाता ॥


कृपा करे रघुनाथ जी,

म्हने सत देवे सीता माता,

श्री बालाजी महाराज,

म्हारे बल बुद्धि रा दाता ॥

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नाग देवता वासुकी की पूजा किस विधि से करें?

सनातन धर्म में 33 करोड़ यानी कि 33 प्रकार के देवी-देवता हैं। जिनकी पूजा विभिन्न विधि-विधान के साथ की जाती है। इन्हीं में एक नागराज वासुकी हैं। वासुकी प्रमुख नागदेवता हैं और नागों के राजा शेषनाग के भाई हैं।

श्री गणपत्यथर्वशीर्षम् स्तोत्रम्

ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयामदेवाः भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाꣳ सस्तनूभिःव्यशेम देवहितं यदायुः॥

कब है रुक्मिणी अष्टमी?

हिंदू धर्म में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी पर ही द्वापर युग में विदर्भ के महाराज भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी जन्मी थीं।

कला साधना पूजा विधि

कला को साधना कहा जाता है , क्योंकि यह केवल मनोरंजन नहीं बल्कि आत्मा की एक गहरी यात्रा होती है। चाहे वह संगीत, नृत्य, चित्रकला, मूर्तिकला, नाटक या किसी अन्य रूप में हो।

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