राम को देख कर के जनक नंदिनी, और सखी संवाद (Ram Ko Dekh Ke Janak Nandini Aur Sakhi Samvad)

राम को देख कर के जनक नंदिनी,

बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी ।

राम देखे सिया को सिया राम को,

चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी ॥


थे जनक पुर गये देखने के लिए,

सारी सखियाँ झरोखो से झाँकन लगे ।

देखते ही नजर मिल गयी प्रेम की,

जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह गयी ॥

राम को देख कर के जनक नंदिनी...॥


बोली एक सखी राम को देखकर,

रच गयी है विधाता ने जोड़ी सुघर ।

फिर धनुष कैसे तोड़ेंगे वारे कुंवर,

मन में शंका बनी की बनी रह गयी ॥

राम को देख कर के जनक नंदिनी...॥


बोली दूसरी सखी छोटन देखन में है,

फिर चमत्कार इनका नहीं जानती ।

एक ही बाण में ताड़िका राक्षसी,

उठ सकी ना पड़ी की पड़ी रह गयी ॥

राम को देख कर के जनक नंदिनी...॥


राम को देख कर के जनक नंदिनी,

बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी ।

राम देखे सिया को सिया राम को,

चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी ॥

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मां शेरावालिये तेरा शेर आ गया (Maa Sherawaliye Tera Sher Aa Gaya)

जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी

मंगल को जन्मे, मंगल ही करते(Mangal Ko Janme Mangal Hi Karte)

मंगल को जन्मे,
मंगल ही करते,

मासिक शिवरात्रि कब है?

हिंदू धर्म में चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व है। मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव के प्रति भक्ति और आस्था का प्रतीक है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

वो है जग से बेमिसाल सखी

कोई कमी नही है, दर मैय्या के जाके देख।
देगी तुझे दर्शन मैय्या, तू सर को झुका के देख।

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