छोटी होली और बड़ी होली में अंतर

छोटी होली और बड़ी होली में क्या अंतर है? जानें इसके पीछे की दिलचस्प कहानी



होली भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व रंगों, खुशियों और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है। होली का त्योहार मुख्य रूप से दो दिनों तक चलता है पहले दिन को ‘छोटी होली’ या ‘होलिका दहन’ और दूसरे दिन को ‘बड़ी होली’ या ‘रंगों वाली होली’ कहा जाता है। कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि इन दोनों दिनों में क्या अंतर है और इसके पीछे की कहानी क्या है? आइए जानते हैं इन दोनों दिनों के बीच का अंतर और उनकी मान्यताओं के बारे में।


छोटी होली: जब जलती है बुराई की होली



छोटी होली को ‘होलिका दहन’ के रूप में जाना जाता है और यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन लकड़ियों, उपलों और अन्य सामग्री से होलिका तैयार की जाती है और उसमें अग्नि प्रज्वलित की जाती है। यह परंपरा प्रह्लाद और उसकी बुआ होलिका की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु का विरोधी था और चाहता था कि उसका पुत्र प्रह्लाद भी उसकी तरह भगवान का विरोध करे। लेकिन प्रह्लाद विष्णु भक्त थे। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली, जिसे अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। लेकिन जैसे ही होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठी, वह खुद जलकर राख हो गईं और प्रह्लाद सुरक्षित बाहर आ गए। यही कारण है कि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

बड़ी होली: जब रंगों से सराबोर होता है देश


होलिका दहन के अगले दिन बड़ी होली मनाई जाती है, जिसे ‘धुलेंडी’ या ‘रंगों वाली होली’ कहा जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग, गुलाल और पानी से सराबोर करते हैं और गिले-शिकवे भुलाकर गले मिलते हैं। यह दिन आपसी प्रेम, भाईचारे और खुशियों को समर्पित होता है।

रंगों की होली की शुरुआत भगवान कृष्ण से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण अपनी सांवली रंगत को लेकर परेशान रहते थे और माता यशोदा ने उन्हें सुझाव दिया कि वे राधा को रंग लगा सकते हैं। तभी से होली को प्रेम और मस्ती का पर्व माना जाने लगा।

छोटी होली और बड़ी होली में मुख्य अंतर


  • समय: छोटी होली पूर्णिमा की रात को मनाई जाती है, जबकि बड़ी होली अगले दिन धुलेंडी के रूप में मनाई जाती है।
  • क्रियाकलाप: छोटी होली पर होलिका दहन होता है, जबकि बड़ी होली पर रंगों से खेला जाता है।
  • धार्मिक मान्यता: छोटी होली बुराई के अंत और अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जबकि बड़ी होली सामाजिक सौहार्द और उल्लास का त्योहार है।
  • संस्कार: छोटी होली पूजा-पाठ और दहन की प्रक्रिया से जुड़ी होती है, जबकि बड़ी होली मौज-मस्ती और रंगों के खेल का अवसर होती है।

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मेरी मां को खबर हो गई(Meri Maa Ko Khabar Ho Gayi)

कैसे कह दूँ,
दुआ बेअसर हो गई,

म्हाने शेरोवाली मैया, राज रानी लागे(Mhane Sherawali Maiya Rajrani Laage)

म्हाने प्राणा सु भी प्यारी,
माता रानी लागे,

महाकाल गंगाधर मेरे (Mahakal Gangadhar Mere)

अब कोई ना सहारा बिन तेरे,
महाकाल गंगाधर मेरे ॥

होलिका दहन की राख से धनलाभ

होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर किया जाता है, इसे छोटी होली भी कहते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत और सच्ची भक्ति का प्रतीक है।

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