होलिका दहन की राख शुभ है या अशुभ?

होलिका दहन की राख शुभ है या अशुभ, इन मंत्रों के साथ करें भस्म का प्रयोग 


होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्ति की शक्ति को दर्शाता है। कुछ जगह मान्यता है कि होलिका में राक्षस हिरण्यकश्युप की बहन होलिका जल गईं थीं इसलिए ये अशुभता का प्रतीक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन की राख शुभ होती है क्योंकि इसमें सारी नकारात्मकता और बुरी नजर सब कुछ जल चुकी होती है। यह संपूर्ण रूप से शुद्ध और गुणकारी मानी जाती है, जिसे कई प्रकार के टोटकों और उपायों में प्रयोग किया जा सकता है।


स्वास्थ्य के लिए अत्यंत शुभ होलिका दहन की राख


यदी आप लंबे समय से परेशान हैं तो होलिका दहन की राख को कुछ विशेष मंत्रों और विधियों के साथ प्रयोग कर अपने स्वास्थ्य को ठीक कर सकते हैं। आइए उन सभी मंत्रों और विधियों को समझते हैं: 


  • दो कपूर और सात लौंग से अपनी नजर उतारें और होलिका दहन की अग्नि में डाल दें, इससे आप के ऊपर से सभी बुरी नजर उतर जाती है साथ ही में आपके अंदर नकारात्मक प्रभाव समाप्त होते हैं।
  • ॐ नरसिंहाय नमः’ मंत्र का जाप करके होलिका दहन की राख को, अपने माथे पर तिलक के रूप में लगाएं। 


होलिका दहन की राख से घर आएंगी माँ लक्ष्मी


होलिका दहन की राख धन लाभ के लिए सबसे अधिक हितकारी मानी जाती है। राख को अपने घर लाकर लाल कपड़े में रख पोटली बना लें और “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः” का जाप कर, अपने घर की तिजोरी में रख दीजिए। इससे आपको धनलाभ होगा। आप चाहें तो इसे अपने घर के सदस्यों के बटुआ में भी रख सकते हैं जिससे उन्हें धन हानि की समस्या कभी नहीं होगी। 


होलिका दहन की राख घर को नकारात्मकता से बचाती है


होलिका दहन की राख को घर लाकर शंख के जल में मिला लें, “ॐ नृसिंघाय नमः” का जाप करते हुए इस जल को पूरे घर के कोनों में छिड़कें। इससे आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी और नकारात्मक दूर हो जाएगी साथ ही, यह आपके घर की बुरी नजर से भी रक्षा करेगा। 


........................................................................................................
मत्स्य जयंती कब मनाई जाएगी

मत्स्य जयंती भगवान विष्णु के पहले अवतार, “मत्स्यावतार” अर्थात् मछली अवतार की विशेष पूजा के रूप में मनाई जाती है।

सुन मेरी मात मेरी बात (Sun Meri Maat Meri Baat)

सुन मेरी मात मेरी बात,
छानी कोणी तेरे से,

मासिक शिवरात्रि पर जलाभिषेक

प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। ये दिन भगवान शिव को समर्पित होती है। इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है।

वीर है गौरा तेंरा लाड़ला गणेश - भजन (Veer Hai Gaura Tera Ladla Ganesh)

वीर है गौरा तेरा लाड़ला गणेश,
माता है तू जिसकी पिता है महेश,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।