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गल मोत्यां को हार, सिर चुनड़ चमकदार (Gal Motiyan Ko Haar Sir Chunad Chamakdar)

गल मोत्यां को हार,

सिर चुनड़ चमकदार,

थे कर सोलह श्रृंगार,

माँ बनड़ी सी लागो जी,

माँ बनड़ी सी लागो जी ॥


थारे हाथा सोणी चंगी,

माँ मेहंदी रची सुरंगी,

चुडले की खन खन न्यारी,

झांकी थारी सतरंगी,

मन मेरो मोह लियो है,

थारी पायल की झंकार,

गल मोत्या को हार,

सिर चुनड़ चमकदार,

थे कर सोलह श्रृंगार,

माँ बनड़ी सी लागो जी,

माँ बनड़ी सी लागो जी ॥


थारे माथे बिंदिया चमके,

नथनी में हीरो दमके,

थारे देख देख कर दादी,

भक्ता को मनडो हरखे,

जादू सो चढ़ गयो है,

मैं भूली माँ घर बार,

गल मोत्या को हार,

सिर चुनड़ चमकदार,

थे कर सोलह श्रृंगार,

माँ बनड़ी सी लागो जी,

माँ बनड़ी सी लागो जी ॥


थाने ‘स्वाति’ निरखन ताई,

थारे मन्दरिये में आई,

कवे ‘हर्ष’ देख कर थाने,

सुध बुध सारी बिसराई,

पलभर ना हटे निजरा,

मैं निरखु बारम्बार,

गल मोत्या को हार,

सिर चुनड़ चमकदार,

थे कर सोलह श्रृंगार,

माँ बनड़ी सी लागो जी,

माँ बनड़ी सी लागो जी ॥


गल मोत्यां को हार,

सिर चुनड़ चमकदार,

थे कर सोलह श्रृंगार,

माँ बनड़ी सी लागो जी,

माँ बनड़ी सी लागो जी ॥

जन्मे जन्मे कृष्ण कन्हाई, बधाई दे दे री मैया (Janme Janme Krishna Kanhai Badhai De De Ri Maiya)

जन्मे जन्मे कृष्ण कन्हाई,
बधाई दे दे री मैया,

होली क्यों मनाई जाती है

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है। इस दिन पूरा देश अबीर-गुलाल और रंग में सराबोर रहता है। हर कोई एक-दूसरे पर प्यार के रंग बरसाते हैं। होली के रंगों को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

तेरे नाम का करम है ये सारा (Tere Naam Ka Karam Hai Ye Sara)

तेरे नाम का करम है ये सारा,
भक्तो पे छाया है सुरूर शेरावालिये,

मात अंग चोला साजे (Maat Ang Chola Saje Har Rang Chola Saje)

हे माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ

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