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ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ (O Ganga Tum,Ganga Behti Ho Kiyon)

[बिस्तिर्नो पारोरे, अशंख्य जोनोरे

हाहाकार खुनिऊ निशोब्दे निरोबे

बुढ़ा लुइत तुमि, बुढ़ा लुइत बुआ कियो? ] - असमिया में


विस्तार है आपार, प्रजा दोनों पार

करे हाहाकार निःशब्द सदा

ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ?


विस्तार है आपार, प्रजा दोनों पार

करे हाहाकार निःशब्द सदा

ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ?


नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई

निर्लज्ज भाव से बहती हो क्यूँ ?

इतिहास की पुकार, करे हुंकार

ओ गंगा की धार, निर्बल जन को

सबल-संग्रामी, समग्रोगामी

बनाती नहीं हो क्यूँ ?

॥ विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार..॥


अनपढ़ जन, अक्षरहिन

अनगीन जन, खाद्यविहीन

नेत्रविहीन दिक्षमौन हो क्यूँ ?


इतिहास की पुकार, करे हुंकार

ओ गंगा की धार, निर्बल जन को

सबल-संग्रामी, समग्रोगामी

बनाती नहीं हो क्यूँ ?

॥ विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार..॥


व्यक्ति रहे व्यक्ति केंद्रित

सकल समाज व्यक्तित्व रहित

निष्प्राण समाज को छोड़ती न क्यूँ ?


इतिहास की पुकार, करे हुंकार

ओ गंगा की धार, निर्बल जन को

सबल-संग्रामी, समग्रोगामी

बनाती नहीं हो क्यूँ ?

॥ विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार..॥


रुदस्विनी क्यूँ न रहीं ?

तुम निश्चय चितन नहीं

प्राणों में प्रेरणा देती न क्यूँ ?

उनमद अवमी कुरुक्षेत्रग्रमी

गंगे जननी, नव भारत में

भीष्मरूपी सुतसमरजयी जनती नहीं हो क्यूँ ?

॥ विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार..॥


विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार

करे हाहाकार, निःशब्द सदा

ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ?


ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम

गंगा तुम, ओ गंगा तुम

गंगा… बहती हो क्यूँ ?


स्कंद षष्ठी व्रत कैसे करें

हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत किया जाता है। माघ माह की स्कंद षष्ठी 3 फरवरी 2025 को पड़ेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था।

मां अन्नपूर्णा को खुश करने के उपाय

धार्मिक मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मां पार्वती माता अन्नपूर्णा के रूप पृथ्वी पर प्रकट हुई थीं। इसलिए हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है।

अथ चौरासी सिद्ध चालीसा - गोरखनाथ मठ (Ath Chaurasi Siddha Chalisa - Gorakhnath Math)

श्री गुरु गणनायक सिमर, शारदा का आधार।
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सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त

अमावस्या की तिथि पितरों के तर्पण और उनकी पूजा-अर्चना के लिए शुभ मानी जाती है। जब अमावस्या किसी सोमवार को पड़ती है, तो इसे 'सोमवती अमावस्या' कहते हैं। सनातन धर्म में इस दिन का महत्व बहुत अधिक है।

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