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है पावन शिव का धाम हरिद्वार (Hai Pawan Shiv Ka Dham Haridwar)

कल कल कल जहाँ निर्मल बहती,

माँ गंगा की धार,

है पावन शिव का धाम हरिद्वार,

हैं पावन शिव का धाम हरिद्वार ॥


विष्णु नख से निकली गंगा,

ब्रम्ह-कमण्डल आई गंगा,

शिव की जटा समाई गंगा,

शिव की जटा समाई गंगा,

सबका किया उद्धार,

हैं पावन शिव का धाम हरिद्वार ॥


गौमुख से चलती इठलाती,

ऋषिकेश में ये बलखाती,

हर की पौड़ी में फिर आती,

हर की पौड़ी में फिर आती,

बनके जग की करतार,

हैं पावन शिव का धाम हरिद्वार ॥


गंगा शीश में धर त्रिपुरारी,

कहलाए फिर गंगा धारी,

भक्त जनो की नैया तारी,

भक्त जनो की नैया तारी,

ना छोड़ी मजधार,

हैं पावन शिव का धाम हरिद्वार ॥


कलियुग में जो पार हो जाना,

एक बार हरिद्वार तो आना,

माँ गंगा में गोते लगाना,

‘चन्दन’ हो भव पार,

हैं पावन शिव का धाम हरिद्वार ॥


कल कल कल जहाँ निर्मल बहती,

माँ गंगा की धार,

है पावन शिव का धाम हरिद्वार,

हैं पावन शिव का धाम हरिद्वार ॥

माँ तू है अनमोल(Maa Tu Hai Anmol)

माँ तू है अनमोल,
जो जाने मेरे बोल,

बृहस्पतिवार व्रत कथा और महत्व

सातों दिन में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति को समर्पित होता है। इस दिन बृहस्पतिवार व्रत और कथा के पाठ करने का विधान है।

जय हो जय हो तेरी माँ यशोदा के लाल (Jai Ho Jai Ho Teri Maa Yashoda Ke Lal)

जय हो जय हो तेरी माँ यशोदा के लाल,
ले के अवतार आना गज़ब हो गया,

भागीरथ-नंदिनी जी की आरती (Bhagirath-Nandini Ji Ki Aarti)

जय जय भगीरथ-नंदिनी, मुनि-चय चकोर-चन्दिनी,
नर-नाग-बिबुध-वंदिनी, जय जह्नुबालिका।

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