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हमारे भोले बाबा को, मना लो जिसका दिल चाहे (Hamare Bhole Baba Ko Mana Lo Jiska Dil Chahe)

हमारे भोले बाबा को,

मना लो जिसका दिल चाहे,

है भोले प्रेम के भूखे,

लुटा लो जिसका दिल चाहे,

हमारे भोलें बाबा को,

मना लो जिसका दिल चाहे ॥


माथे पर चंद्रमा सोहे,

गले में सर्पों की माला,

लटों बह रही गंगा,

नहा लो जिसका दिल चाहे,

हमारे भोलें बाबा को,

मना लो जिसका दिल चाहे ॥


भोले के अंग भभूति है,

कमर में मृग छाला है,

हाथ में डम डम डमरू है,

बजा लो जिसका दिल चाहे,

हमारे भोलें बाबा को,

मना लो जिसका दिल चाहे ॥


भोले की नंदी की सवारी,

बगल में गौरा महतारी,

गोद में गणपति लाला,

खिला लो जिसका दिल चाहे,

हमारे भोलें बाबा को,

मना लो जिसका दिल चाहे ॥


हमारे भोले बाबा को,

मना लो जिसका दिल चाहे,

है भोले प्रेम के भूखे,

लुटा लो जिसका दिल चाहे,

हमारे भोलें बाबा को,

मना लो जिसका दिल चाहे ॥

आंवला नवमी व्रत कथा (Amla Navami Vrat Katha)

आंवला नवमी व्रत आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है। आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था और साथ ही आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा भी की थी।

मारने वाला है भगवान, बचाने वाला है भगवान (Marne Wala Hai Bhagwan Bachane Wala Hai Bhagwan)

श्रद्धा रखो जगत के लोगो,
अपने दीनानाथ में ।

त्रिपुर भैरवी जयंती कब है ?

हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को माता त्रिपुर भैरवी के जन्मदिवस को त्रिपुर भैरवी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक माता त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है।

जानकी जयंती पर चौपाइयों का पाठ

जानकी जी के विभिन्न नामों में सीता, मैथिली और सिया प्रमुख हैं। जानकी जयंती के अवसर पर रामचरित मानस की चौपाइयों का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। यहां कुछ चौपाइयां दी गई हैं जो राम भक्ति से परिपूर्ण हैं।

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