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जय माता दी गाये जा, मैया को मनाये जा (Jai Mata Di Gaye Ja Maiya Ko Manaye Ja)

जय माता दी गाये जा,

मैया को मनाये जा,

माता से कर अरदास तू,

मैया पे रख विश्वास तू,

जय माता दी गायें जा,

मैया को मनाये जा ॥


जिसने माता का है नाम लिया,

पल में माँ ने उसका काम किया,

कभी भी उसकी नैया ना डूबी,

जिसको मेरी माँ ने थाम लिया,

माँ साथ है, तो क्या बात है,

मैया का बन जा दास तू,

मैया पे रख विश्वास तू,

जय माता दी गायें जा,

मैया को मनाये जा ॥


जब भी कोई संकट आ जाए,

जब भी तेरा मन ये घबराए,

रखना भरोसा माता रानी पर,

बाल ना बांका तेरा हो पाए,

माँ साथ है, तो क्या बात है,

ना होना कभी निराश तू,

मैया पे रख विश्वास तू,

जय माता दी गायें जा,

मैया को मनाये जा ॥


बड़ी ही ममतामई मेरी मैया,

रखती भक्तों पर अपनी छैया,

‘सौरभ मधुकर’ चरण पकड़ ले तू,

ये छोड़ेगी ना तेरी बैया,

माँ साथ है, तो क्या बात है,

मैया से कह दे आज तू,

मैया पे रख विश्वास तू,

जय माता दी गायें जा,

मैया को मनाये जा ॥


जय माता दी गाये जा,

मैया को मनाये जा,

माता से कर अरदास तू,

मैया पे रख विश्वास तू,

जय माता दी गायें जा,

मैया को मनाये जा ॥

शबरी जंयती की पूजा विधि

शबरी जयंती सनातन धर्म में महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। हर साल माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में शबरी जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।

क्यों खास होता है फाल्गुन मास

सनातन धर्म में फाल्गुन मास का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, साल का अंतिम महीना फाल्गुन मास होता है। इसके बाद हिंदू नववर्ष शुरू हो जाता है।

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की रमा नाम एकादशी (Kaartik Maas Kee Krshn Paksh Kee Rama Naam Ekaadashee)

इतनी कथा सुनकर महाराज युधिष्ठिर ने भगवान् से कहा-प्रभो ! अब आप कृपा करके कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के माहात्म्य का वर्णन करिये। पाण्डुनन्दन की ऐसी वाणी सुन भगवान् कृष्ण ने कहा-हे राजन् !

आओ अंगना पधारो श्री गणेश जी (Aao Angana Padharo Shri Ganesh Ji)

आओ अंगना पधारो श्री गणेश जी ॥