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जयपुर से लाई मैं तो चुनरी (Jaipur Se Layi Main Chunri)

जयपुर से लाई मैं तो,

चुनरी रंगवाई के,

गोटा किनारी अपने,

हाथो लगवाई के,

मैया को ओढ़ाउंगी,

द्वारे पे जाइके ॥


चंदा की किरणों से,

सूरज की लाली से,

नीले समंदर से,

वन की हरियाली से,

रंग मांगे चुनरी खातिर,

कुदरत मतवाली से,

दुनिया की नजरो से,

रखी बचाई के,

मैया को ओढ़ाउंगी,

द्वारे पे जाइके ॥



जयपुर से लाई मैं तो,

चुनरी रंगवाई के,

गोटा किनारी अपने,

हाथो लगवाई के,

मैया को ओढ़ाउंगी,

द्वारे पे जाइके ॥


रिमझिम फुहारों की जब,

सावन रुत आएगी,

सखियों संग झूला झूलने,

मैया जब जाएगी,

झूले संग आसमान में,

चुनरी लहराइयेगी,

रह जाये इंद्रधनुष के,

रंग शरमाइके,

मैया को ओढ़ाउंगी,

द्वारे पे जाइके ॥



जयपुर से लाई मैं तो,

चुनरी रंगवाई के,

गोटा किनारी अपने,

हाथो लगवाई के,

मैया को ओढ़ाउंगी,

द्वारे पे जाइके ॥


मैया के मन भाएगी,

चुनरी निराली ये,

मुश्किल घडी में होगी,

मेरी रखवाली ये,

चुनरी के रंग में लख्खा,

जिंदगी रंगवाली ये,

चुनरी में मात सरल को,

रखना छुपाईके,

मैया को ओढ़ाउंगी,

द्वारे पे जाइके ॥


जयपुर से लाई मैं तो,

चुनरी रंगवाई के,

गोटा किनारी अपने,

हाथो लगवाई के,

मैया को ओढ़ाउंगी,

द्वारे पे जाइके ॥

गुरु मेरी पूजा, गुरु गोबिंद, गुरु मेरा पारब्रह्म (Guru Meri Puja Guru Mera Parbrahma)

गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद
गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत

इस तरह मनाएं छोटी होली

छोटी होली को फागुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, इस साल ये दिन गुरुवार 13 मार्च को है। मान्यतों के अनुसार ये दिन बहुत खास होता है, इस दिन आप जो कुछ भी करते हैं उसका फल आपको पूरे वर्ष तक मिलता है।

चैत्र महीना भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे चैत्र माह में मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस वर्ष भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 17 मार्च 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।

फूल देई, छम्मा देई (Phool Dei, Chamma Dei Geet)

फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥