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जीमो जीमो साँवरिया थे (Jeemo Jeemo Sanwariya Thye)

जीमो जीमो साँवरिया थे,

आओ भोग लगाओ जी,

बाँसुरिया की तान सुनाता,

छम छम करता आओ जी,

जीमो जीमो साँवरिया थे,

आओ भोग लगाओ जी ॥


माखन मिश्री मेवा मोदक,

मनचाया मिष्ठान जी,

रसगुल्ला रस भरी जलेबी,

छप्पन रस पकवान जी,

पूड़ी कचौड़ी खट्टी मीठी,

पूड़ी कचौड़ी खट्टी मीठी,

चटनी चाख बताओ जी,

जीमो जीमो सांवरिया थे,

आओ भोग लगाओ जी ॥


जो कुछ भी है आप री किरपा,

मेरी के औकात जी,

देवणीया थे लेवणिया मैं,

सिमरा दिन और रात जी,

दीनानाथ दयालु भगवन,

दीनानाथ दयालु भगवन,

आओ बैगा आओ जी,

जीमो जीमो सांवरिया थे,

आओ भोग लगाओ जी ॥


लहरी भाव भरोसो पुरो,

राखो माथे हाथ जी,

बरसाओ सांवरिया अब तो,

अमृत की बरसात जी,

सेवा में कोई भूल-चूक हो,

सेवा में कोई भूल-चूक हो,

सांवरिया बिसराओ जी,

जीमो जीमो सांवरिया थे,

आओ भोग लगाओ जी ॥


जीमो जीमो साँवरिया थे,

आओ भोग लगाओ जी,

बाँसुरिया की तान सुनाता,

छम छम करता आओ जी,

जीमो जीमो साँवरिया थे,

आओ भोग लगाओ जी ॥


ललिता चालीसा का पाठ

ललिता जयंती का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ललिता माता आदिशक्ति त्रिपुर सुंदरी जगत जननी हैं। मान्यता है कि देवी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

है हारें का सहारा श्याम (Hai Haare Ka Sahara Shyam)

है हारे का सहारा श्याम,
लखदातार है तू ॥

दिवाली 2024 तिथि: दिवाली कब है? 31 अक्टूबर या 1 नवंबर

दीपावली या दिवाली हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में एक है। यह त्योहार भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में बसे हिंदुओं के बीच श्रद्धा भक्ति और हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

शिव शंकर भोलेनाथ, तेरा डमरू बाजे पर्वत पे (Shiv Shankar Bholenath Tera Damru Baje Parvat Pe)

शिव शंकर भोलेनाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,

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