नवीनतम लेख

करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं - माँ संतोषी (Karti Hu Tumhara Vrat Main)

करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं,

स्वीकार करो माँ,

मझधार में, मैं अटकी,

बेडा पार करो माँ,

बेडा पार करो माँ,

हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥


बैठी हूँ बड़ी आशा से,

तुम्हारे दरबार में,

क्यूँ रोये तुम्हारी बेटी,

इस निर्दयी संसार में,

पलटा दो मेरी भी किस्मत,

पलटा दो मेरी भी किस्मत,

चमत्कार करो माँ ।


मझधार में, मैं अटकी,

बेडा पार करो माँ,

बेडा पार करो माँ,

हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥


मेरे लिए तो बंद है,

दुनिया की सब राहें,

कल्याण मेरा हो सकता है,

माँ आप जो चाहें,

चिंता की आग से मेरा,

चिंता की आग से मेरा,

उद्धार करो माँ ।


मझधार में, मैं अटकी,

बेडा पार करो माँ,

बेडा पार करो माँ,

हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥


दुर्भाग्य की दीवार को,

तुम आज हटा दो,

मातेश्वरी वापिस मेरे,

सौभाग्य को ला दो,

इस अभागिनी नारी से,

इस अभागिनी नारी से,

कुछ प्यार करो माँ ।


मझधार में, मैं अटकी,

बेडा पार करो माँ,

बेडा पार करो माँ,

हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥


करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं,

स्वीकार करो माँ,

मझधार में, मैं अटकी,

बेडा पार करो माँ,

बेडा पार करो माँ,

हे माँ संतोषी, माँ संतोषी ॥


मात भवानी अम्बे माँ (Maat Bhawani Ambe Maa)

मात भवानी अम्बे माँ,
मेरी नैया भवर में है आ,

नरक चतुर्दशी की कथा (Narak Chaturdashi ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण अपनी पत्नियों के साथ द्वारिका में निवास कर रहे थे।

ओ मेरे बाबा भोलेंनाथ (O Mere Baba Bholenath)

ना मांगू मैं हीरे मोती,
ना मांगू मैं सोना चांदी,

रथ सप्तमी व्रत के शुभ मुहूर्त

माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रखा जाने वाला रथ सप्तमी व्रत इस साल 4 फरवरी को है। यह व्रत प्रमुख रूप से सूर्य देव को समर्पित है। रथ सप्तमी को अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।

यह भी जाने