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कोई देवता नही है, भोले नाथ की तरह (Koi Devta Nahi Hai Bhole Nath Ki Tarah)

कोई देवता नही है,

भोले नाथ की तरह,

लूटाते है खजाना बरसात की तरह,

लूटाते है खजाना बरसात की तरह ॥


शिव ने हमारे वास्ते,

क्या क्या नहीं किया,

सौ बार शुक्रिया है,

सौ सौ बार शुक्रिया,

रखते खयाल मेरा,

औलाद की तरह,

लूटाते है खजाना बरसात की तरह,

लूटाते है खजाना बरसात की तरह ॥


अहसान इनके लाखों है,

कितने मैं गिनाऊँ,

किस किस को बताऊँ,

और क्या क्या मैं बताऊँ,

ये लाज मेरी समझे,

अपनी लाज की तरह,

लूटाते है खजाना बरसात की तरह,

लूटाते है खजाना बरसात की तरह ॥


अब माँगने को हाथ,

ये उठते नही मेरे,

कहता ‘पवन’ अब कोई,

चिंता नहीं घेरे,

रहे संग ये हमेशा,

मेरी साँस की तरह,

लूटाते है खजाना बरसात की तरह,

लूटाते है खजाना बरसात की तरह ॥


कोई देवता नही है,

भोले नाथ की तरह,

लूटाते है खजाना बरसात की तरह,

लूटाते है खजाना बरसात की तरह ॥

मेरी मैया तू एक बार आजा, दर्श दिखा जा(Meri Maiya Tu Ek Baar Aaja Darsh Dikha Jaa)

मेरी मैया तू एक बार आजा,
हाँ दर्श दिखा जा,

महाकाल तेरी भक्ति ने बवाल कर दिया (Mahakal Teri Bhakti Ne Bawal Kar Diya)

तेरे कलयुग में भी भक्तो ने कमाल कर दिया,
हो जय श्री महाकाल के नारे ने धमाल कर दिया,

श्रीकृष्ण लीला: जब बाल कान्हा ने फल वाली अम्मा की झोली हीरे-मोती से भर दी

भगवान अपने भक्तों को कब, कहा, क्या और कितना दे दें यह कोई नहीं जानता। लेकिन भगवान को अपने सभी भक्तों का सदैव ध्यान रहता है। वे कभी भी उन्हें नहीं भूलते। भगवान उनके भले के लिए और कल्याण के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

प्राण त्यागने से पहले भीष्म ने क्या कहा था?

सनातन धर्म में भीष्म अष्टमी का दिन अत्यंत शुभ माना गया है। यह महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, जिसमें अनेक शिक्षाएं निहित हैं। महाप्रतापी योद्धा भीष्म पितामह को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, जिसके कारण वे अपनी इच्छा से प्राण त्याग सकते थे।

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