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मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार (Mere Banke Bihari Lal Tu Itna Na Nario Shringar)

मेरे बांके बिहारी लाल,

तू इतना ना करिओ श्रृंगार,

नजर तोहे लग जाएगी ।


तेरी सुरतिया पे मन मोरा अटका ।

प्यारा लागे तेरा पीला पटका ।

तेरी टेढ़ी मेढ़ी चाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,

नजर तोहे लग जाएगी ॥

मेरे बांके बिहारी लाल...॥


तेरी मुरलिया पे मन मेरा अटका ।

प्यारा लागे तेरा नीला पटका ।

तेरे गुंगार वाले बाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,

नजर तोहे लग जाएगी ॥

मेरे बांके बिहारी लाल...॥


तेरी कमरिया पे मन मोरा अटका ।

प्यारा लागे तेरा काला पटका ।

तेरे गल में वैजयंती माल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,

नजर तोहे लग जाएगी ॥

मेरे बांके बिहारी लाल...॥


मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करिओ श्रृंगार,

नजर तोहे लग जाएगी ।

भगत पुकारे आज मावड़ी(Bhagat Pukare Aaj Mawadi)

भादी मावस है आई,
भक्ता मिल ज्योत जगाई,

आ दरश दिखा दे मेरी माँ (Aa Darsh Dikha De Meri Maa)

आ दरश दिखा दे मेरी माँ,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,

नंदी पे बिठा के तू, घूमा दे भोले(Nandi Pe Bitha Ke Tu Ghuma De Bhole)

नंदी पे बिठा के तू,
घूमा दे भोले जोगिया,

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे मंगलकारी योग

सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की आराधना कर सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।