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म्हारा कुञ्ज बिहारी कृष्ण मुरारी बरसाने बागा में बोले मोर(Mhara Kunj Bihari Krishna Murari)

म्हारा कुञ्ज बिहारी,

कृष्ण मुरारी,

बरसाने बागा में बोले मोर ॥


डूंगर ऊपर डूंगरी रे,

जा पर बैठ्या मोर,

मोर चुगावण मैं गई जी,

मोर चुगावण मैं गई जी,

मिल गया नंदकिशोर जी,

म्हारा कुँज बिहारी,

कृष्ण मुरारी,

बरसाने बागा में बोले मोर ॥


सावन बरस भादवो बरस्यो,

माच रह्यो घनघोर,

दादुर मोर पपीहा बोले,

दादुर मोर पपीहा बोले,

कोयल कर रही शोर जी,

म्हारा कुँज बिहारी,

कृष्ण मुरारी,

बरसाने बागा में बोले मोर ॥


पिया पिया थाने केवस्यू जी,

पिया थे ही चितचोर,

नटवर नागर सोवणा थे,

नटवर नागर सोवणा थे,

चंदा मैं हूँ चकोर जी,

म्हारा कुँज बिहारी,

कृष्ण मुरारी,

बरसाने बागा में बोले मोर ॥


चन्द्रसखी की विनती जी,

खींचो मन की डोर,

जब जब थाने याद करूँ जी,

जब जब थाने याद करूँ जी,

हिवड़े उठे हिलोर जी,

म्हारा कुँज बिहारी,

कृष्ण मुरारी,

बरसाने बागा में बोले मोर ॥

कार्तिगाई दीपम उत्सव से जुड़ी पौराणिक कथा

कार्तिगाई दीपम उत्सव दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान कार्तिकेय और शिव को समर्पित है। यह उत्सव तमिल माह कार्तिगाई की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को आयोजित होता है।

कान्हा मेरी राखी का, तुझे कर्ज चुकाना है (Kanha Meri Rakhi Ka Tujhe Karj Chukana Hai)

कान्हा मेरी राखी का,
तुझे कर्ज चुकाना है,

राम सीता और लखन वन जा रहे - भजन (Ram Sita Aur Lakhan Van Ja Rahe)

राम सीता और लखन वन जा रहे,
हाय अयोध्या में अँधेरे छा रहे,

मासिक शिवरात्रि कब है?

हिंदू धर्म में चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व है। मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव के प्रति भक्ति और आस्था का प्रतीक है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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