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नित नयो लागे साँवरो (Nit Nayo Lage Sanvaro)

नित नयो लागे साँवरो,

इकि लेवा नज़र उतार,

नजर ना लग जावै,

एकी लेवा नज़र उतार,

नज़र ना लग जावे ।


सोने के सिंघासन पर,

बैठयो म्हारों श्याम धणी,

तन केसरियो बागों है,

सोभा अपरम्पार घणी,

धीरे धीरे मुळक रह्यो,

धीरे धीरे मुलक रह्यो,

नैना से छलके प्यार,

नज़र ना लग जावै,

एकी लेवा नजर उतार,

नज़र ना लग जावे ।


भाँति भाँति के फूला का,

लाम्बा लाम्बा गजरा है,

ऊपर से इतर छिड़के,

घणा श्याम का नख़रा है,

इके आगे फ़ीका है,

इके आगे फ़ीका है,

दुनिया का राजकुमार,

नज़र ना लग जावै,

एकी लेवा नजर उतार,

नज़र ना लग जावे ।


सजधज कर के श्याम धणी,

निज दरबार लगावे है,

एक बार जो देखे है,

नज़र हटा न पावे है,

बच के रहियों साँवरा,

बच के रहियों साँवरा,

बिन्नू का ये उदगार,

नज़र ना लग जावै,

एकी लेवा नजर उतार,

नज़र ना लग जावे ।


नित नयों लागे साँवरो,

इकि लेवा नज़र उतार,

नजर ना लग जावै,

एकी लेवा नज़र उतार,

नज़र ना लग जावे ।

श्री लड्डू गोपाल चालीसा (Shri Laddu Gopal Chalisa)

श्री राधापद कमल रज, सिर धरि यमुना कूल |
वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल ||

मत्स्य द्वादशी कब है

भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक मत्स्य अवतार की जयंती के रूप में मनाया जाने वाला मत्स्य द्वादशी पर्व इस साल दिसंबर में मनाया जाएगा। यह पर्व मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है ।

एक तू ही है मेरा, बाकी सब है वहम(Ek Tu Hi Hai Mera Baki Sab Hai Veham)

मेरे बाबा साथ,
छोड़ना ना तुझे है कसम,

अन्नपूर्णा जयंती पर बन रहा ये दुर्लभ योग

वैदिक पंचांग के अनुसार 15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा और भगवान शिव की पूजा होती है।