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शेरावाली का सच्चा दरबार है (Sherawali Ka Sacha Darbar Hai)

शेरावाली का सच्चा दरबार है,

यहाँ पे भरते भक्तो के भंडार है,

सच्चा दरबार है, भरते भंडार है,

शेरावाली का सच्चा दरबार हैं,

यहाँ पे भरते भक्तो के भंडार है ॥


पर्वत पे एक गुफा के अंदर,

मैया का है प्यारा मंदिर,

मैया का है प्यारा मंदिर,

सिंह सवारी कर के बैठी,

लगती मैया कितनी सुन्दर,

लगती मैया कितनी सुन्दर,

दर्शन करने को आता संसार है,

यहाँ पे भरते भक्तो के भंडार है,

शेरावाली का सच्चा दरबार हैं,

यहाँ पे भरते भक्तो के भंडार है ॥


तीन लोक की है महारानी,

ये जगदम्बा ये ही भवानी,

ये जगदम्बा ये ही भवानी,

बिगड़ी बनाने वाली माँ है,

बड़ी दयालु बड़ी है दानी,

मनचाहा सबको देती उपहार है,

यहाँ पे भरते भक्तो के भंडार है,

शेरावाली का सच्चा दरबार हैं,

यहाँ पे भरते भक्तो के भंडार है ॥


मैया के दर पे जो आए,

चरणों में जो शीश झुकाए,

चरणों में जो शीश झुकाए,

जय माता दी बोल बोल के,

‘सोनू’ जो जयकारे लगाए,

‘सोनू’ जो जयकारे लगाए,

उनका तो हो जाता बेड़ा पार है,

यहाँ पे भरते भक्तो के भंडार है,

शेरावाली का सच्चा दरबार हैं,

यहाँ पे भरते भक्तो के भंडार है ॥


शेरावाली का सच्चा दरबार है,

यहाँ पे भरते भक्तो के भंडार है,

सच्चा दरबार है, भरते भंडार है,

शेरावाली का सच्चा दरबार हैं,

यहाँ पे भरते भक्तो के भंडार है ॥

जया एकादशी व्रत नियम

प्रत्येक महीने में एकादशी दो बार आती है—एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरी बार शुक्ल पक्ष में। कृष्ण पक्ष की एकादशी पूर्णिमा के बाद आती है, जबकि शुक्ल पक्ष की एकादशी अमावस्या के बाद आती है।

बसंत पंचमी के दिन क्या करें, क्या नहीं

बसंत पंचमी का पर्व जो कि माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। यह त्योहार ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा के लिए विशेष है जो कि वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी है।

तेरे दरबार मे मैया खुशी मिलती है (Tere Darbar Mein Maiya Khushi Milti Hai)

तेरी छाया मे, तेरे चरणों मे,
मगन हो बैठूं, तेरे भक्तो मे ॥

वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे (Vaishnav Jan To Tene Kahiye Je)

वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड परायी जाणे रे ।

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