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तेरे दर पे ओ मेरी मईया(Tere Dar Pe O Meri Maiya)

तेरे दर पे ओ मेरी मईया,

तेरे दीवाने आए हैं,

भर दे झोली मईया भोली,

बिगड़ी बनाने आए हैं,

तेरे दर पे ओ मेरी मैया,

तेरे दीवाने आए हैं ॥


हो जाए करम उसपे जपे,

जो तेरी माला,

तू चाहे तो खुल जाए,

तकदीर का ताला,

माँ की ज्योति से,

नूर मिलता है,

चैन मिलता है,

सुरूर मिलता है,

जो भी आता है,

मईया जी तेरे दर पे,

कुछ ना कुछ तो,

जरूर मिलता है,

अपने भक्तों से,

तू तो प्यार करें,

बेटा रूठे ना,

इतनी दुलार करें,

ममता तेरे आंचल का माँ,

हम तो पाने आए हैं,

तेरे दर पें ओं मेरी मईया,

तेरे दीवाने आए हैं ॥


तेरे दर पे माँ भिखारी भी,

धनवान हो जाए,

निर्बल भी शक्ति पाके,

तो बलवान हो जाए,

माँ गिरते को,

तुमने थाम लिया,

बेसहारों को भी सहारा दिया,

उसके किस्मत सवर गई,

जिसने सच्चे दिल से मईया जी,

तेरा नाम लिया,

अर्जी सुन ले तू,

बेटे की मैया,

पार लगा दे तू,

जीवन की नैया,

हाले दिल अपना ओ मईया,

तुझको सुनाने आए है,

भर दे झोली मईया भोली,

बिगड़ी बनाने आए हैं,

तेरे दर पें ओं मेरी मईया,

तेरे दीवाने आए हैं ॥


तेरे दर पे ओ मेरी मईया,

तेरे दीवाने आए हैं,

भर दे झोली मईया भोली,

बिगड़ी बनाने आए हैं,

तेरे दर पे ओ मेरी मैया,

तेरे दीवाने आए हैं ॥

साल में दो दिन क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी, जानिए स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय के बारे में जो मनाते हैं अलग-अलग जन्माष्टमी?

जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन मनाने के पीछे देश के दो संप्रदाय हैं जिनमें पहला नाम स्मार्त संप्रदाय जबकि दूसरा नाम वैष्णव संप्रदाय का है।

लिङ्गाष्टकम् (Lingashtakam)

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

शबरी जयंती पर इन चीजों का लगाएं भोग

सनातन धर्म में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर शबरी जयंती मनाई जाती है। इस दिन व्रत और पूजन का विधान है। इस दिन भगवान राम के साथ माता शबरी का पूजन किया जाता है।

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