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तुम रूठे रहो मोहन (Tum Ruthe Raho Mohan)

तुम रूठे रहो मोहन,

हम तुम्हे मना लेंगे,

आहों मे असर होगा,

घर बैठे बुला लेंगे,

तुम रूठे रहों मोहन,

हम तुम्हे मना लेंगे ॥


तुम कहते हो मोहन,

हमें मधुबन प्यारा है,

इक बार तो आ जाओ,

मधुबन ही बना देंगे,

तुम रूठे रहों मोहन,

हम तुम्हे मना लेंगे ॥


तुम कहते हो मोहन,

हमें राधा प्यारी है,

इक बार तो आ जाओ,

राधा से मिला देंगे,

तुम रूठे रहों मोहन,

हम तुम्हे मना लेंगे ॥


तुम कहते हो मोहन,

हमें माखन प्यारा है,

इक बार तो आ जाओ,

माखन ही खिला देंगे,

तुम रूठे रहों मोहन,

हम तुम्हे मना लेंगे ॥


तुम कहते हो मोहन,

हमें कहाँ बिठाओगे,

इस दिल में तो आ जाओ,

पलकों पे बिठा लेंगे,

तुम रूठे रहों मोहन,

हम तुम्हे मना लेंगे ॥


तुम हमको ना चाहो,

इसकी हमें परवाह नही,

हम वादे के पक्के है,

तुम्हे अपना बना लेंगे,

तुम रूठे रहों मोहन,

हम तुम्हे मना लेंगे ॥


तुम रूठे रहो मोहन,

हम तुम्हे मना लेंगे,

आहों मे असर होगा,

घर बैठे बुला लेंगे,

तुम रूठे रहों मोहन,

हम तुम्हे मना लेंगे ॥


लगी आग जो सीने में,

तेरी प्रेम जुदाई की,

हम प्रेम की धारा से,

लगी दिल की बुझा लेंगे,

तुम रूठे रहों मोहन,

हम तुम्हे मना लेंगे ॥


तुम रूठे रहो मोहन,

हम तुम्हे मना लेंगे,

आहों मे असर होगा,

घर बैठे बुला लेंगे,

तुम रूठे रहों मोहन,

हम तुम्हे मना लेंगे ॥

राम कहने से तर जाएगा (Ram Kahne Se Tar Jayega Par Bhav Se Utar Jayega)

राम कहने से तर जाएगा,
पार भव से उतर जायेगा।

मसान होली की पौराणिक कथा

मसान होली दो दिवसीय त्योहार माना जाता है। मसान होली चिता की राख और गुलाल से खेली जाती है। काशी के मणिकर्णिका घाट पर साधु-संत इकट्ठा होकर शिव भजन गाते हैं और नाच-गाकर जीवन-मरण का जश्न मनाते हैं और साथ ही श्मशान की राख को एक-दूसरे पर मलते हैं और हवा में उड़ाते हैं। इस दौरान पूरी काशी शिवमय हो जाती है और हर तरफ हर-हर महादेव का नाद सुनाई देता है।

कब है जया एकादशी?

सनातन धर्म में एक साल में कुल 24 एकादशी आती है। इनमें से माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी मनाई जाती है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होता है।

जानें कब है विनायक चतुर्थी

विनायक चतुर्थी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

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