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तूने सिर पे धरा जो मेरे हाथ के अब तेरा साथ नहीं छूटे (Tune Sir Pe Dhara Jo Mere Hath Ke Ab Tera Sath Nahi Chute)

तूने सिर पे धरा जो मेरे हाथ,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे,

मेरा तुम पे रहे विश्वास,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे,

तूने सर पे धरा जो मेरे हाथ,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे ॥


इक दौर था वो जीवन का मेरे,

जब अपने किनारा कर बैठे,

कांधा भी ना था रोने को कोई,

देखे हैं समय ऐसे ऐसे,

फिर तुमसे हुई मुलाकात,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे

मेरा तुम पे रहे विश्वास,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे,

तूने सर पे धरा जो मेरे हाथ,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे ॥


तूफानों में कश्ती थी मेरी,

कहीं कोई किनारा ना सूझा,

फिर किसने निकाला तूफां से,

इक इक ने बाद में ये पूछा,

मैंने ले लिया तेरा नाम,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे

मेरा तुम पे रहे विश्वास,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे,

तूने सर पे धरा जो मेरे हाथ,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे ॥


अब तो बस एक तमन्ना है,

तेरे चरणों का मैं दास बनूँ,

नहीं चिंता कोई फ़िक्र हो मुझे,

‘हरी’ तेरी शरण में सदा रहूं,

रहे कृपा की बरसात,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे

मेरा तुम पे रहे विश्वास,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे,

तूने सर पे धरा जो मेरे हाथ,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे ॥


तूने सिर पे धरा जो मेरे हाथ,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे,

मेरा तुम पे रहे विश्वास,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे,

तूने सर पे धरा जो मेरे हाथ,

के अब तेरा साथ नहीं छूटे ॥

कब है जया एकादशी?

सनातन धर्म में एक साल में कुल 24 एकादशी आती है। इनमें से माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी मनाई जाती है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होता है।

बांके बिहारी रे दूर करो दुख मेरा (Banke Bihari Re Door Karo Dukh Mera)

बांके बिहारी रे दूर करो दुख मेरा,
दूर करो दुख मेरा, बिहारी जी,

नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी (Nit Mahima Mai Gaun Maiya Teri)

नित महिमा मैं गाउँ मैया तेरी ॥
और क्या माँगू मैं तुमसे माता,

फुलेरा दूज का श्रीकृष्ण से संबंध

फुलेरा दूज का त्योहार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है और धूमधाम से मनाया जाता है।

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