चले है भोला, सज धज के - भजन (Chale Hai Bhola Saj Dhaj Ke)

भोला तन पे भस्म लगाये,

मन में गौरा को बसाये,

चले है भोला,

सज धज के,

संखिया मंगल गाती हैं,

भूत प्रेत बाराती हैं ॥


भूत और प्रेत सब,

झूम झूम जाते हैं,

लूले और लँगड़े भी,

डिस्को दिखाते हैं,

भोला मन ही मन मुस्काये,

रूप अजब गजब हैं बनाये,

चले हैं भोला,

सज धज के ॥


पहुँची बारात,

सब मंगल गाते हैं,

देख देख शिव को,

सभी डर जाते हैं,

माता मैना रही घबराये,

शिव ऐसा रूप बनाये,

चले हैं भोला,

सज धज के ॥


मन में ये सोचें शिव,

सब डर जाते हैं,

विवाह कैसे होगा,

कोई पास न आते हैं,

तब सुंदर रूप बनाये,

चन्द्रशेखर नाम कहाये,

चले हैं भोला,

सज धज के ॥


गौरा के संग में,

ब्याह रचाते हैं,

लेके भवानी को,

कैलाश जाते हैं,

‘सूरज सोनी’ हरसाये,

ध्यान शिवजी के चरणों मे लगाए,

चले हैं भोला,

सज धज के ॥


भोला तन पे भस्म लगाये,

मन में गौरा को बसाये,

चले है भोला,

सज धज के,

संखिया मंगल गाती हैं,

भूत प्रेत बाराती हैं ॥


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भोले शंकर तेरे दर्शन को (Bhole Shankar Tere Darshan Ko)

भोले शंकर तेरे दर्शन को,
लाखों कावड़ियाँ आए रे,

चैत्र महीना भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे चैत्र माह में मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस वर्ष भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 17 मार्च 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।

ज्येष्ठ गौरी आह्वान 2024: गणेश जी के आगमन के तीन दिन बाद इस रूप में धरती पर अवतरित होती हैं मां पार्वती

देश भर में गणपति बप्पा का आगमन हो चुका है और हर तरफ गणेशोत्सव की धूम मची हुई है।

शंभू ये तेरी माया, कहीं है धूप कहीं है छाया(Shambhu Ye Teri M aya Kahin Hai Dhup Kahin Hai Chaya)

शंभू ये तेरी माया,
कहीं है धूप कहीं है छाया,

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