गजानंद महाराज पधारो कीर्तन की तैयारी है(Gajanand Maharaj Padharo Kirtan Ki Taiyari Hai)

प्रथम मनाये गणेश के, ध्याऊ शारदा मात,

मात पिता गुरु प्रभु चरण मे, नित्य नमाऊ माथ॥

गजानंद महाराज पधारो,

कीर्तन की तैयारी है,

आओ आओ बेगा आओ,

चाव दरस को भारी है॥


थे आवो ज़द काम बणेला,

था पर म्हारी बाजी है,

रणत भंवर गढ़ वाला सुणलो,

चिन्ता म्हाने लागि है,

देर करो मत ना तरसाओ,

चरणा अरज ये म्हारी है,

॥गजानन्द महाराज पधारो..॥


रीद्धी सिद्धी संग आओ विनायक,

देवों दरस थारा भगता ने,

भोग लगावा ढोक लगावा,

पुष्प चढ़ावा चरणा मे,

गजानंद थारा हाथा मे,

अब तो लाज हमारी है,

॥गजानन्द महाराज पधारो..॥


भगता की तो विनती सुनली,

शिव सूत प्यारो आयो है,

जय जयकार करो गणपति की,

म्हारो मन हर्शायो है,

बरसेंगा अब रस कीर्तन मे,

भगतौ महिमा भारी है,

॥गजानन्द महाराज पधारो..॥


गजानंद महाराज पधारो,

कीर्तन की तैयारी है,

आओ आओ बेगा आओ,

चाव दरस को भारी है॥


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जगमग हुईं अयोध्या नगरी, सन्त करें गुणगान (Jagmag Hui Ayodhya Nagari Sant Kare Gungan)

जगमग हुई अयोध्या नगरी,
रतन सिंहासन राम विराजें,

मेरे बालाजी सरकार मैं तेरा हो जाऊँ (Mere Balaji Sarkar Main Tera Ho Jaun)

शिव शंकर के अवतार,
मेरे बालाजी सरकार,

भगवान हनुमान जी की पूजा विधि

हनुमान जी की पूजा में विशेष मंत्रों और नियमों का पालन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पूजन की शुरुआत गणपति वंदना से होती है, जिसके बाद हनुमान जी को स्नान, वस्त्र, आभूषण, सिंदूर, धूप-दीप और प्रसाद अर्पित किया जाता है।

चक्रधर भगवान की पूजा कैसे करें?

भगवान चक्रधर 12वीं शताब्दी के एक महान तत्त्वज्ञ, समाज सुधारक और महानुभाव पंथ के संस्थापक थे। महानुभाव धर्मानुयायी उन्हें ईश्वर का अवतार मानते हैं। उनका जन्म बारहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में, गुजरात के भड़ोच में हुआ था। उनका जन्म नाम हरीपालदेव था।

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