गिरिजा के छैया, गणपति तुम्हे पुकारूँ (Girija Ke Chheya Ganpati Tumhe Pukaru )

गिरिजा के छैया,

गणपति तुम्हे पुकारूँ,

पूजूं मैं तुम्हे,

आरती तेरी उतारूँ,

गिरिजा के छैंया ॥


पान फूल मेवा से,

चरणों की सेवा से,

प्रथम तुम्हे पूजूं,

मैं छवि चित धारण,

गिरिजा के छैंया,

गणपति तुम्हे पुकारूँ,

गिरिजा के छैंया ॥


देव दुष्ट हन्ता हो,

जगत के नियंता हो,

शरण आऊं आपकी,

मैं पइयाँ पखारूँ,

गिरिजा के छैंया,

गणपति तुम्हे पुकारूँ,

गिरिजा के छैंया ॥


रिद्धि सिद्धि दाता हो,

ज्ञान के विधाता हो,

हर लो दुःख देवा,

आशा से तुम्हे निहारूं,

गिरिजा के छैंया,

गणपति तुम्हे पुकारूँ,

गिरिजा के छैंया ॥


गिरिजा के छैया,

गणपति तुम्हे पुकारूँ,

पूजूं मैं तुम्हे,

आरती तेरी उतारूँ,

गिरिजा के छैंया ॥

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डाल रही वरमाला अब तो जानकी (Daal Rahi Varmala Ab To Janaki)

डाल रही वरमाला अब तो जानकी,
धनुष तोड़ा शिव जी का,

चले पवन की चाल, मेरा बजरंगबली (Chale Pawan Ki Chaal Mera Bajrangbali)

लाल लंगोटा हाथ में सोटा,
चले पवन की चाल,

विद्यारंभ संस्कार पूजा विधि

हिंदू संस्कृति में मनुष्य के जीवन के अलग अलग पड़ावों को संस्कारों के साथ पवित्र बनाया जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है विद्यारंभ संस्कार । यह संस्कार बच्चों के जीवन में शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक है।

माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो(Maa Ho To Aisi Ho Aisi Ho)

हाँ माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो
ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

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