राम पे जब जब विपदा आई(Ram Pe Jab Jab Vipada Aai)

राम पे जब जब विपदा आई,

कौन बना रखवाला,

राम पे जब जब विपदा आई,

कौन बना रखवाला,

मेरा बजरंग बाला,

मेरा बजरंग बाला ।


मात सिया को राम प्रभु से,

कौन मिलाने वाला,

मेरा बजरंग बाला,

मेरा बजरंग बाला ।


जितने भी काम थे मुश्किल,

बजरंग के हिस्से आये,

हनुमत के सिवा कोई भी,

सागर को लांघ न पाए,

रावण की सोने की लंका,

रावण की सोने की लंका,

कौन जलने वाला,

मेरा बजरंग बाला,

मेरा बजरंग बाला ॥


राम पे जब जब विपदा आई,

कौन बना रखवाला,

मेरा बजरंग बाला,

मेरा बजरंग बाला ।


शक्ति लागि लक्ष्मण को,

और मूर्छा भारी छायी

धरती पे देख लखन को,

और रोने लगे रघुराई,

संजीवन लाकर के लखन को,

संजीवन लाकर के लखन को,

कौन जगाने वाला,

मेरा बजरंग बाला,

मेरा बजरंग बाला ॥


राम पे जब जब विपदा आई,

कौन बना रखवाला,

मेरा बजरंग बाला,

मेरा बजरंग बाला ।


जो हनुमान न होते,

ना होती राम कहानी,

श्री राम प्रभु की महिमा,

घर घर न जाती बखानी,

कहे पवन भक्ति का डंका,

कहे पवन भक्ति का डंका,

कौन जगाने वाला,

मेरा बजरंग बाला,

मेरा बजरंग बाला ॥


राम पे जब जब विपदा आई,

कौन बना रखवाला,

मेरा बजरंग बाला,

मेरा बजरंग बाला ।


विभीषण ताना मारे,

बजरंगी सह ना पाए,

भक्ति किसको कहते है,

यह सबको ज्ञान कराये,

भरी सभा में चिर के सिना,

भरी सभा में चिर के सिना,

कौन जगाने वाला,

मेरा बजरंग बाला,

मेरा बजरंग बाला ॥


राम पे जब जब विपदा आई,

कौन बना रखवाला,

मेरा बजरंग बाला,

मेरा बजरंग बाला ।


मात सिया को राम प्रभु से,

कौन मिलाने वाला,

मेरा बजरंग बाला,

मेरा बजरंग बाला ।

........................................................................................................
करता है तू बेड़ा पार (Karta Hai Tu Beda Paar)

कोई जब राह ना पाए,
शरण तेरी आए,

तमिल हनुमान जयंती कब है

तमिल कैलेंडर के मुताबिक, साल 2024 में हनुमान जयंती 30 दिसंबर को मनाई जाएगी। हनुमान जयंती पहले चैत्र माह की पूर्णिमा को फिर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।

मेरा आपकी दया से सब काम हो रहा है - भजन (Mera Aap Ki Kripa Se Sab Kam Ho Raha Hai)

मेरा आपकी दया से सब काम हो रहा है।
करते हो तुम कन्हिया मेरा नाम हो रहा है॥

बसंत सम्पात 2025: महत्व और अनुष्ठान

रंग पंचमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे होली के पांचवें दिन मनाया जाता है। इसे बसंत महोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करने का महत्व बताया गया है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।