गौरा ढूंढ रही पर्वत पर(Gora Dhund Rahi Parvat Pe)

गौरा ढूंढ रही पर्वत पर,

शिव को पति बनाने को,

पति बनाने को, भोले को,

पति बनाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे माथे का टिका,

मांग सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे सोने की नथनी,

नाक सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे गले का हरवा,

गला सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे सोने का कंगना,

हाथ सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे रेशम की साड़ी,

तन पे सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


ना चाहिए मुझे सोने की करधनी,

कमर सजाने को,

हमें तो चाहिए भोला तेरी माला,

हरी गुण गाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥


गौरा ढूंढ रही पर्वत पर,

शिव को पति बनाने को,

पति बनाने को, भोले को,

पति बनाने को,

गौरा ढूंढ रही पर्वत पे,

शिव को पति बनाने को ॥

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खाटू वाले श्याम धणी को, हैलो आयो है(Khatu Wale Shyam Dhani Ko Helo Aayo Hai)

खाटू चालों खाटू चालों,
खाटू वाले श्याम धणी को,

ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम (Aisi Suwah Na Aye, Aye Na Aisi Sham)

शिव है शक्ति, शिव है भक्ति, शिव है मुक्ति धाम।
शिव है ब्रह्मा, शिव है विष्णु, शिव है मेरा राम॥

उत्पन्ना एकादशी पर तुलसी मंजरी का उपाय

इस वर्ष में मंगलवार, 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।

जिस काँधे कावड़ लाऊँ, मैं आपके लिए(Jis Kandhe Kawad Laun Main Aapke Liye)

जिस काँधे कावड़ लाऊँ,
मैं आपके लिए,

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