हे गणपति गजानन, मेरे द्वार तुम पधारो (Hey Ganpati Gajanan Mere Dwar Tum Padharo)

हे गणपति गजानन,

मेरे द्वार तुम पधारो,

बिगड़ी मेरी बना के,

मेरा भाग्य तुम सवारों,

हे गणपति गजानंद,

मेरे द्वार तुम पधारो ॥


शुभ लाभ के हो दाता,

तुम भाग्य के विधाता,

मर्जी बिना तुम्हारे,

धन धान्य कुछ ना आता,

नैया फसी भवर में,

इसे पार तुम उतारो,

बिगड़ी मेरी बना के,

मेरा भाग्य तुम सवारों,

हे गणपति गजानंद,

मेरे द्वार तुम पधारो ॥


निर्बल को देते काया,

निर्धन पे करते छाया,

देवों में अग्रणी तुम,

जग तुझमे ही समाया,

दे ज्ञान का तू दर्पण,

मुझको भी तो उबारो,

बिगड़ी मेरी बना के,

मेरा भाग्य तुम सवारों,

हे गणपति गजानंद,

मेरे द्वार तुम पधारो ॥


जानू ना पाठ जप तप,

कैसे तुझे मनाऊं,

तेरी महिमा गा के भगवन,

तुझको तो मैं रिझाऊं,

रिद्धि सिद्धि संग विनायक,

मेरी प्रार्थना स्वीकारो,

बिगड़ी मेरी बना के,

मेरा भाग्य तुम सवारों,

हे गणपति गजानंद,

मेरे द्वार तुम पधारो ॥


हे गणपति गजानन,

मेरे द्वार तुम पधारो,

बिगड़ी मेरी बना के,

मेरा भाग्य तुम सवारों,

हे गणपति गजानंद,

मेरे द्वार तुम पधारो ॥

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रमा एकादशी व्रत कथा (Rama Ekadashi Vrat Katha)

एक समय महाराज युधिष्ठिर ने कहा- “हे जनार्दन मुझपर कृपा करके बताइये कि कार्तिक कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी होती है? भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा “हे राजन् ! कार्तिक मास के कृष्णपक्ष में जो परम कल्याणमयी एकादशी होती है वह 'रमा' के नाम से जानी जाती है।

चित्रकूट के घाट-घाट पर, शबरी देखे बाट (Chitrakoot Ke Ghat Ghat Par Shabri Dekhe Baat)

चित्रकूट के घाट घाट पर,
शबरी देखे बाट,

हे दयामय आप ही संसार के आधार हो (Hey Dayamay Aap Hi Sansar Ke Adhar Ho)

हे दयामय आप ही संसार के आधार हो।
आप ही करतार हो हम सबके पालनहार हो॥

मंत्र जाप के लाभ

‘मंत्र’ शब्द संस्कृत भाषा से आया है। यहां 'म' का अर्थ है मन और 'त्र' का अर्थ है मुक्ति। मंत्रों का जाप मन की चिंताओं को दूर करने, तनाव और रुकावटों को दूर करने एवं आपको बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित करने में मदद करने का एक सिद्ध तरीका है।

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