जय हो, जय हो महाकाल राजा (Jai Ho Jai ho Mahakal Raja)

जय हो जय हो महाकाल राजा,

तेरी किरपा की छाई है छाया ।

जय हो जय हो महाकाल राजा,

तेरी किरपा की छाई है छाया ।

हर तरफ तू ही तू है समाया,

धन्य तेरी है तेरी ही माया ।

जय हो जय हो महाकाल राजा,

तेरी किरपा की छाई है छाया ।


तुमने देवो को अमृत दिया है,

आपने खुद ही विष को पिया है ॥

देवताओं का मान बडाया,

सागरमंथन के विष से बचाया ॥


जय हो जय हो महाकाल राजा,

तेरी किरपा की छाई है छाया ॥


वरदानी हो भोले कैलाशी,

डमरू वाले है काशी के वासी ॥

गले सर्पो का हार सजाया,

सर भभुति का टीका लगाया ॥


जय हो जय हो महाकाल राजा,

तेरी किरपा की छाई है छाया ॥


भोले जिसने भी तुमको पुकारा,

तुमने उनको दिया है सहारा ॥

सारे भगतो का मान बड़ाया,

तेरे चरणो में शिवाजी आया ॥


जय हो जय हो महाकाल राजा,

तेरी किरपा की छाई है छाया ॥

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भाव सुमन लेकर मैं बैठा, गौरी सुत स्वीकार करो (Bhav Suman Lekar Main Baitha Gaurisut Swikar Karo)

भाव सुमन लेकर मैं बैठा,
गौरी सुत स्वीकार करो,

मैली चादर ओढ़ के कैसे - भजन (Maili Chadar Odh Ke Kaise)

मैली चादर ओढ़ के कैसे,
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दिसंबर में कब है दुर्गा अष्टमी?

शुक्ल पक्ष की अष्टमी का दिन मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस दिन विधिवत मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी मां दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित होती है। इस विधि-विधान से व्रत और पूजा करके मां दुर्गा की स्तुति की जाती है।

श्री विष्णु दशावतार स्तोत्रम् (Shri Vishnu Dashavatar Stotram)

प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदम्।

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