जय हो शिव भोला भंडारी (Jai Ho Shiv Bhola Bhandari Lela Aprampar Tumhari Bhajan)

जय हो शिव भोला भंडारी,

लीला अपरंपार तुम्हारी,

लेके नाम, तेरा नाम,

तेरे धाम आ गए,

तेरे भक्त पे संकट भारी,

रक्षा कीजिये हे त्रिपुरारी,

लेके नाम, तेरा नाम,

तेरे धाम आ गए,

॥ जय हो शिव भोला भंडारी...॥



मेरी विनती सुनो हे अवनाशी,

किरपा करदो प्रभु घट-घट वासी,

अब तो लेलो खबर हमारी,

तुम हो भक्तो के हितकारी,

लेके नाम, तेरा नाम,

तेरे धाम आ गए,

॥ जय हो शिव भोला भंडारी...॥


मेरी नैया फसी प्रभु मझधार में,

कोई तुमसा दयालु न संसार में,

माना पतित बड़ा भारी,

भोले आप हो मंगलकारी,

लेके नाम, तेरा नाम,

तेरे धाम आ गए,

॥ जय हो शिव भोला भंडारी...॥


आप के चरणों की धूल जो पाएंगे,

सारे बदल वो दुःख के झट जायेगे,

तूने उसकी बिपदा टाली,

आया शरण जो नाथ तुम्हारी,

लेके नाम, तेरा नाम,

तेरे धाम आ गए,


जय हो शिव भोला भंडारी,

लीला अपरंपार तुम्हारी,

लेके नाम, तेरा नाम,

तेरे धाम आ गए,

तेरे भक्त पे संकट भारी,

रक्षा कीजिये हे त्रिपुरारी,

लेके नाम, तेरा नाम,

तेरे धाम आ गए


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ओ जंगल के राजा, मेरी मैया को ले के आजा (O Jungle Ke Raja Meri Maiya Ko Leke Aaja)

ओ जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा,

नंगे नंगे पाँव चल आ गया री(Nange Nange Paon Chal Aagaya Ri)

नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥

एकादशी व्रत का महत्व

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। बता दें कि साल में कुल 24 एकदशी पड़ती हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है। ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं।

म्हारी झुँझन वाली माँ, पधारो कीर्तन में(Mhari Jhunjhan Wali Maa Padharo Kirtan Me)

म्हारी झुँझन वाली माँ,
पधारो कीर्तन में,

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