कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम (Kahiyo Darshan Dinhe Ho Bhilaniyo Ke Ram)

पंथ निहारत, डगर बहारथ,

होता सुबह से शाम,

कहियो दर्शन दीन्हे हो,

भीलनियों के राम ।


पंथ निहारत, डगर बहारथ,

होता सुबह से शाम,

कहियो दर्शन दीन्हे हो,

भीलनियों के राम ।

कहियो दर्शन दीन्हे हो,

भीलनियों के राम ।


गुरुवर मतंग जी,

रन ले राम रंग में,

बालिका से प्रीत भई ली,

ओहि रे तरंग में,

नाम रूप अरु लीला धाम के,

नाम रूप अरु लीला धाम के,

सुमिरन आठों याम,

कहियो दर्शन दीन्हे हो,

भीलनियों के राम ।


अधम से अधम,

अधम अति नारी,

उत चक्र व्रती के,

कुमार धनुर्धारी,

चीखी चीखी बैर के राखव,

आईहेही भोग के काम,

कहियो दर्शन दीन्हे हो,

भीलनियों के राम ।


माड़ो से भागल,

अनुरागी संजागल,

शबरी शिकारी भइनी,

भक्ति में पाग़ल,

उहे डगर तू धरहो राजन,

पइबा परम विश्राम,

कहियो दर्शन दीन्हे हो,

भीलनियों के राम ।

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बाहुबली से शिव तांडव स्तोत्रम, कौन-है वो (Shiv Tandav Stotram And Kon Hai Woh From Bahubali)

जटा कटा हसं भ्रमभ्रमन्नि लिम्प निर्झरी,
विलोलवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि।

शबरी जंयती की पूजा विधि

शबरी जयंती सनातन धर्म में महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। हर साल माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में शबरी जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।

मेरे बाबा मेरे महाकाल: शिव भजन (Mere Baba Mere Mahakal)

देवों के महादेव है कालों के ये काल,
दुनिया की बुरी नजरों से रखते मेरा ख्याल,

गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है?

हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि मान्यता है कि इस पेड़ में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है।

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