मोरी मैय्या की चूनर उड़ी जाए

धीरे चलो री, पवन धीरे - धीरे चलो री।

धीरे चलो री पुरवइया।

धीरे चलो री, पवन धीरे - धीरे चलो री।

धीरे चलो री पुरवइया।


हो, मोरी मैय्या की चूनर उड़ी जाए।

हो, मोरी मैय्या की चूनर उड़ी जाए।

पवन धीरे - धीरे चलो री।

मोरी मैय्या की चूनर उड़ी जाए।

पवन धीरे - धीरे चलो री।

धीर चलो री पवन, धीरे चलो री।

धीर चलो री पवन, धीरे चलो री।

धीर चलो री पवन, धीरे चलो री।

मोरी मैय्या की चूनर उड़ी जाए, पवन धीरे - धीरे चलो री।

मैय्या की चूनर उड़ी जाए, पवन धीरे - धीरे चलो री।


कैसे भवानी तोहे ध्वजा में चढ़ाऊं।

(कैसे भवानी तोहे ध्वजा में चढ़ाऊं।)

कैसे भवानी तोहे ध्वजा में चढ़ाऊं।

(कैसे भवानी तोहे ध्वजा में चढ़ाऊं।)

कैसे भवानी तोहे ध्वजा में चढ़ाऊं।

कैसे भवानी तोहे ध्वजा में चढ़ाऊं।

हो मैय्या, ध्वजा लहरिया खाए।

हो मैय्या, ध्वजा लहरिया खाए, पवन धीरे - धीरे चलो री।

ध्वजा लहरिया खाए, पवन धीरे - धीरे चलो री।


कैसे भवानी तोहे फुलवा चढ़ाऊं।

(कैसे भवानी तोहे फुलवा चढ़ाऊं)

कैसे भवानी तोहे फुलवा चढ़ाऊं।

(कैसे भवानी तोहे फुलवा चढ़ाऊं)

कैसे भवानी तोहे फुलवा चढ़ाऊं।

कैसे भवानी तोहे फुलवा चढ़ाऊं।

हो मैय्या, फुलवा तो गिर - गिर जाए।

हो मैय्या, फुलवा तो गिर - गिर जाए,  पवन धीरे - धीरे चलो री।

मैय्या की चूनर उड़ी जाए, पवन धीरे - धीरे चलो री।


कैसे भवानी तोरी करूं मैं आरती।

(कैसे भवानी तोरी करूं मैं आरती।)

कैसे भवानी तोरी करूं मैं आरती।

(कैसे भवानी तोरी करूं मैं आरती।)

कैसे भवानी तोरी करूं मैं आरती।

कैसे भवानी तोरी करूं मैं आरती।

हो मैय्या, ज्योत ये बुझ - बुझ जाए।

हो मैय्या, ज्योत ये बुझ - बुझ जाए,

पवन धीरे - धीरे चलो री।

मैय्या की चूनर उड़ी जाए, पवन धीरे - धीरे चलो री।

धीरे चलो री पवन, धीरे चलो री।

धीरे चलो री पवन, धीरे चलो री।

धीरे चलो री पवन, धीरे चलो री।

मोरी मैय्या की चूनर उड़ी जाए, पवन धीरे - धीरे चलो री।

मैय्या की चूनर उड़ी जाए, पवन धीरे - धीरे चलो री।

धीरे चलो री, पवन धीरे - धीरे चलो री।

धीरे चलो री पुरवइया।

धीरे चलो री, पवन धीरे - धीरे चलो री।

धीरे चलो री पुरवइया।

धीरे चलो री पुरवइया।

धीरे चलो री पुरवइया।


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ये मेरी अर्जी है: भजन (Ye Meri Arzi Hai)

ये मेरी अर्जी है,
मै वैसी बन जाऊँ,

दिसंबर में कब है अनंग त्रयोदशी व्रत

प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा को समर्पित एक पवित्र दिन है। इसे हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

लचकि लचकि आवत मोहन (Lachaki Lachaki Awat Mohan)

लचकि लचकि आवत मोहन,
आवे मन भावे

शुक्र प्रदोष व्रत पर राशिवार क्या दान करें?

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है। 2024 में शुक्रवार, 13 दिसंबर को शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ अवसर है।

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