नमामि श्री गणराज दयाल(Namami Shri Ganraj Dayal)

नमामि श्री गणराज दयाल,

करत हो भक्तन का प्रतिपाल,

नमामि श्री गणराज दयाल।

निशिदिन ध्यान धरे जो प्राणी,

हरे सकल भव जाल,

जन्म-मरन से होत निराला,

नहीं लगती कर माल,

॥ नमामि श्री गणराज दयाल...॥


लंबोदर गज-वदन मनोहर,

गले फूलों की माल,

ऋद्धि-सिद्धि चमाल धूलावें,

शोभत से दूर हार,

॥ नमामि श्री गणराज दयाल...॥


मूषक वाहन त्रिशूल परेशुधार,

चंदन झलक विशाल,

ब्रह्मादिक सब ध्यावत तुम को,

अर्जी तुकरया बाल,

॥ नमामि श्री गणराज दयाल...॥


नमामि श्री गणराज दयाल,

करत हो भक्तन का प्रतिपाल,

नमामि श्री गणराज दयाल।

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हे जग स्वामी, अंतर्यामी, तेरे सन्मुख आता हूँ (He Jag Swami Anataryami, Tere Sanmukh Aata Hoon)

हे जग स्वामी, अंतर्यामी,
तेरे सन्मुख आता हूँ ।

प्रीत मे पूजे नाम तुम्हारा (Preet Main Puje Naam Tumhara)

प्रीत मे पूजे नाम तुम्हारा,
गणपति जगत खिवैया,

गुरू प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। हर महीने दो प्रदोष व्रत और पूरे साल में 24 व्रत होते हैं।

छोटे छोटे घुँगरू छोटे छोटे पाँव (Chhote Chhote Ghungru Chhote Chhote Paanv)

छोटे छोटे घुँगरू छोटे छोटे पाँव,
छम छम नाचे देखो वीर हनुमान ॥

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