ओ शंकर भोले, जपती मैं तुमको हरदम (O Shankar Bhole Japti Main Tumko Hardam)

ओ शंकर भोले,

जपती मैं तुमको हरदम,

दें दो सुन्दर कोई जतन,

जिससे फिर मिल जायें हम,

ओ शंकर भोलें ॥


त्रेता युग में भूल हुई थी,

जाँचा था रामजी को,

त्रेता युग में भूल हुई थी,

जाँचा था रामजी को,

रूप सीता का लिया,

त्यागे मुझको ही शिवा,

ऐसे बीता मेरा वो जनम,

ओ शंकर भोलें ॥


दक्ष पिता जब बने घमंडी,

भूले सती अरु शिव को,

दक्ष पिता जब बने घमंडी,

भूले सती अरु शिव को,

जब मैं वेदी को चली,

सबमें आयी खलबली,

जला अग्नी में मेरा बदन,

ओ शंकर भोलें ॥


पारवती के रूप में जन्मी,

आऊँगी तेरे ही आँगन,

पारवती के रूप में जन्मी,

आऊँगी तेरे ही आँगन,

तेरी पूजा मैं करूँ,

काम दूजा न करूँ,

तुझपे वारूंगी अपना ये तन,

ओ शंकर भोलें ॥


शिवरात्रि के शुभ अवसर पर,

आये शंभु बराती,

शिवरात्रि के शुभ अवसर पर,

आये शंभु बराती,

ताने लोगों से मिले,

वर जोगी से मिले,

सारे संसार के भगवन हो,

ओ शंकर भोलें ॥


ओ शंकर भोले,

जपती मैं तुमको हरदम,

दें दो सुन्दर कोई जतन,

जिससे फिर मिल जायें हम,

ओ शंकर भोलें ॥

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तृष्णा ना जाए मन से - भजन (Trishna Na Jaye Man Se)

तृष्णा ना जाये मन से ॥

शनिवार व्रत कथा और महत्व

सनातन हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है। शनिदेव को बहुत जल्दी क्रोध आता है, और इनके क्रोध से सभी बचने की कोशिश करते हैं। माना जाता है कि इनके क्रोध से व्यक्ति पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है।

जनवरी में कब है संकष्टी चतुर्थी

सनातन हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि साल की पहली संकष्टी चतुर्थी लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जानी जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान गणेश जी और सकट माता की पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है।

हम सब मिलके आये, दाता तेरे दरबार (Hum Sab Milke Aaye Data Tere Darbar)

हम सब मिलके आये,
दाता तेरे दरबार

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