काल भैरव जंयती 2024

काल भैरव की कृपा पाने के लिए करें इन मंत्रों का जाप, पढ़े काल भैरव अवतार की आरती 


इस वर्ष 22 नवंबर को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी, जो हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस रुद्रावतार और तंत्र-मंत्र के देवता काल भैरव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान काल भैरव की पूजा करने से ग्रह दोष, रोग, कष्ट, और सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।  


काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम को 05 बजकर 02 मिनट से शुरू होकर शाम 05 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में भगवान काल भैरव की पूजा, आरती और मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ प्राप्त होगा। 


भगवान काल भैरव के प्रभावशाली मंत्र और आरती का जाप करने से बाबा काल भैरव प्रसन्न होंगे और आपके दुख-दर्द हर लेंगे। भगवान काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को शक्ति, सिद्धि, सुख-समृद्धि और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। ऐसे में आइये जानते हैं काल भैरव जयंती के अवसर पर किन मंत्रों का जाप करना चाहिए साथ ही जानेंगे पूजा के बाद कौन सी आरती करने से काल भैरव की कृपा प्राप्त होगी। 


काल भैरव के प्रभावशाली मंत्र


ॐ कालभैरवाय नम:।।
ॐ भयहरणं च भैरव:।।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय. कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा।।



काल भैरव गायत्री मंत्र


ऊँ शिवगणाय विद्महे गौरीसुताय धीमहि तन्नो भैरव प्रचोदयात।।



काल भैरव की आरती


जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।

जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।


तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।

भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।। जय भैरव देवा…


वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।

महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।। जय भैरव देवा…


तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।

चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।। जय भैरव देवा…


तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।

कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।। जय भैरव देवा…


पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।

बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।। जय भैरव देवा…


बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे।

कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावे।। जय भैरव देवा…


काल भैरव की जय…बटुक भैरव की जय…काल भैरव की जय। 


........................................................................................................
सारे जग में विराजे रे, मेरे शिव भोले( Sare Jag Mein Viraje Re Mere Shiv Bhole)

सारे जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले,

गौरा ने घोट कर, पीस कर छान कर(Gora Ne Ghot Kar Piskar Chhankar)

गौरा ने घोट कर,
पीस कर छान कर,

रंग पंचमी की कथा

रंग पंचमी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और यह पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी-देवता धरती पर आकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

मन फूला फूला फिरे जगत में(Mann Fula Fula Phire Jagat Mein)

मन फूला फूला फिरे,
जगत में कैसा नाता रे ॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने