नवरात्रि पूजन सामग्री लिस्ट

Navratri Puja Samagri: नवरात्रि की पूजा से पहले जान लें पूरी पूजन सामग्री लिस्ट


नवरात्र की नौ दिनों की अवधि में नवदुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने के साथ-साथ कलश स्थापना की जाती है। इसके साथ ही कलश के चारों ओर जौ बोए जाते हैं, जिसकी नौ दिनों तक पूजा करने के साथ अखंड ज्योति जलाई जाती है। अगर आप भी इस बार नवरात्रि में पूजा करने के साथ-साथ घटस्थापना कर रहे हैं, तो पूरी पूजा सामग्री की लिस्ट बना लें, जिससे पूजा करते समय किसी भी प्रकार का विघ्न न पड़े। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि की पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट…


कलश स्थापना के लिए सामग्री:


  • शुद्ध मिट्टी
  • बोने के लिए जौ
  • मिट्टी/पीतल/तांबे का कलश
  • आम या अशोक के पांच पत्ते
  • कलश के ऊपर रखने के लिए कटोरी
  • कटोरी को भरने के लिए अनाज
  • एक नारियल
  • एक लाल कपड़ा या चुनरी
  • कलावा
  • सिंदूर
  • चूना-हल्दी से बना हुआ तिलक
  • अक्षत
  • जल
  • गंगाजल
  • 1 सिक्का
  • 1 सुपारी


नवरात्रि पूजन के लिए सामग्री:


  • माता दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति
  • लाल रंग का कपड़ा
  • लकड़ी की चौकी
  • सिंदूर
  • अक्षत
  • मिठाई
  • फूल
  • माला
  • सोलह श्रृंगार
  • कमलगट्टा
  • पंचमेवा
  • पान
  • सुपारी
  • लौंग
  • बताशा
  • दीपक
  • धूप
  • घी
  • अगरबत्ती
  • कुछ पैसे
  • छोटी इलायची
  • एक लोटे में जल
  • फल
  • जायफल
  • जावित्री
  • नारियल
  • नैवेद्य


घटस्थापना पूजन विधि:


  • नवरात्र के पहले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें।
  • ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में पूजा के लिए स्थान साफ करें।
  • लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • घट पर रोली या चंदन से स्वस्तिक बनाएं और मौली बांधें।
  • कलश में जल भरकर उसमें हल्दी, रोली, अक्षत और सिक्का डालें।
  • कलश पर आम या अशोक के पत्ते रखें और उसके ऊपर नारियल रखें।
  • घट में जौ डालें और कलश को उसके ऊपर स्थापित करें।
  • दीप जलाएं और माता रानी का आह्वान करें।
  • नवरात्र की पूजा में माता रानी के साथ-साथ इस कलश की भी पूजा करें।

........................................................................................................
माता जानकी के जन्म से जुड़ी कथा

माता जानकी का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था, जब राजा जनक ने एक दिन खेत जोतते समय एक कन्या को पाया। उन्होंने उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया और उसका पालन-पोषण किया।

सन्तोषी माता/शुक्रवार की ब्रत कथा (Santhoshi Mata / Sukravaar Ki Vrat Katha

एक नगरमें एक बुढ़ियाके सात पुत्र थे, सातौके विवाह होगए, सुन्दर स्त्री घर में सम्पन्न थीं। बड़े बः पुत्र धंधा करते थे बोटा निठल्ला कुछ नहीं करता था और इस ध्यान में मग्न रहता था कि में बिना किए का खाता हूं।

अगर श्याम सुन्दर का सहारा ना होता (Agar Shyam Sundar Ka Sahara Na Hota)

अगर श्याम सुन्दर का सहारा ना होता,
तो दुनियाँ में कोई हमारा ना होता ।

माता लक्ष्मी जी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने