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बैठी हो माँ सामने, कर सोलह श्रृंगार (Baithi Ho Maa Samne Kar Solah Shringar)

बैठी हो माँ सामने,

कर सोलह श्रृंगार,

तू करुणा की है मूरत,

और ममता का भण्डार,

बैठी हो मां सामने,

कर सोलह श्रृंगार ॥


निरख रही हो हम भक्तों को,

बड़े प्यार से जगजननी,

इसी तरह हम भक्तों को भी,

तेरी ही सेवा करनी,

तू हरदम देती रहना,

हमको माँ प्यार दुलार,

बैठी हो मां सामने,

कर सोलह श्रृंगार ॥


तेरी ममता की छाया में,

इसी तरह हम पले बढ़े,

तेरी किरपा से ही माता,

हम अपने पैरो पे खड़े,

तेरे बच्चों को देने में,

तू करती नहीं इन्कार,

बैठी हो मां सामने,

कर सोलह श्रृंगार ॥


हम बच्चों पर हरदम मैया,

आशीर्वाद तुम्हारा हो,

‘हर्ष’ कहे माँ शेरोवाली,

हरपल साथ तुम्हारा हो,

तू हाथ दया का रखना,

सांचा तेरा दरबार,

बैठी हो मां सामने,

कर सोलह श्रृंगार ॥


बैठी हो माँ सामने,

कर सोलह श्रृंगार,

तू करुणा की है मूरत,

और ममता का भण्डार,

बैठी हो मां सामने,

कर सोलह श्रृंगार ॥

होरी खेली न जाय (Hori Kheli Na Jaay)

नैनन में पिचकारी दई,
मोय गारी दई,

भाद्रपद कृष्ण की अजा एकादशी (Bhaadrapad Krishn Ki Aja Ekaadashi)

युधिष्ठिर ने कहा-हे जनार्दन ! आगे अब आप मुझसे भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम और माहात्म्य का वर्णन करिये।

जिस काँधे कावड़ लाऊँ, मैं आपके लिए(Jis Kandhe Kawad Laun Main Aapke Liye)

जिस काँधे कावड़ लाऊँ,
मैं आपके लिए,

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी स्त्रोत

पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

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