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भरदे रे श्याम झोली भरदे (Bharde Re Shyam Jholi Bhar De)

भरदे रे श्याम झोली भरदे,

भरदे, ना बहला ओ बातों में,

ना बहला ओ, बातों में ॥


नादान है अनजान हैं,

श्याम तू ही मेरा भगवान है,

तुझे चाहूं तुझे पाऊं,

मेरे दिल का यही अरमान है,

पढ़ ले रे श्याम दिल की पढ़ले,

सब लिखा है आंखों में,

​भरदे रे श्याम झोली भरदे ॥


दिन बीते बीती रातें,

अपनी कितनी हुई रे मुलाकातें,

तुझे जाना पहचाना,

तेरे झूठे हुए रे सारे वादे,

भूले रे श्याम तुम तो भूले,

क्या रखा है बातों में,

​भर दे रे श्याम झोली भरदे ॥


मेरी नैया ओ कन्हैया,

पार करदे तू बनके खिवैया,

मैं तो हारा, गम का मारा,

आजा आजा ओ बंशी के बजैया,

लेले रे श्याम अब तो लेले,

लेले, मेरा हाथ हाथों में,

​भर दे रे श्याम झोली भरदे ॥


मैं हूं तेरा तू है मेरा,

मैंने डाला तेरे दर पे डेरा,

मुझे आस है विश्वास है,

श्याम भर देगा दामन तु मेरा,

झूमें रे श्याम ‘नन्दू’ झूमें,

झूमें, तेरी बांहों में,

भर दे रे श्याम झोली भरदे ॥


​भरदे रे श्याम झोली भरदे,

भरदे, ना बहला ओ बातों में,

ना बहला ओ, बातों में ॥

क्या करे इन हाथों का, इतने इतने हाथ (Kya Karein In Hathon Ka Itne Itne Haath)

क्या करे इन हाथों का,
इतने इतने हाथ,

नमो नमो(Namo Namo)

नमो नमो नमो नमो ॥
श्लोक – सतसाँच श्री निवास,

त्रिपुर भैरवी जयंती कब है ?

हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को माता त्रिपुर भैरवी के जन्मदिवस को त्रिपुर भैरवी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक माता त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है।

परीक्षा सफलता पूजा विधि

हिंदू संस्कृति में मनुष्य के जीवन के अलग अलग पड़ावों को संस्कारों के साथ पवित्र बनाया जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है विद्यारंभ संस्कार । यह संस्कार बच्चों के जीवन में शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक है।