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जिस ओर नजर फेरूं दादी, चहुँ ओर नजारा तेरा है (Jis Aur Nazar Ferun Dadi Chahun Aur Nazara Tera Hai)

जिस ओर नजर फेरूं दादी,

चहुँ ओर नजारा तेरा है,

सतियों में तू सिरमौर है माँ,

साँचा ये द्वारा तेरा है,

जिस ओर नजर फेरूँ दादी,

चहुँ ओर नजारा तेरा है ॥


तू मेरी है मैं तेरी हूँ,

तू चंदा है मैं चकोरी हूँ,

तेरे होते ही रोशन दादी,

किस्मत का सितारा मेरा है,

जिस ओर नजर फेरूँ दादी,

चहुँ ओर नजारा तेरा है ॥


मैं तेरा ध्यान लगाती हूँ,

माँ पास तुझे मैं पाती हूँ,

दुनिया की ना दरकार मुझे,

बस एक सहारा तेरा है,

जिस ओर नजर फेरूँ दादी,

चहुँ ओर नजारा तेरा है ॥


तू हाथ पकड़ के चलती है,

तुझसे ही मेरी हस्ती है,

नैया की खेवनहार तू ही,

तू ही तो किनारा मेरा है,

जिस ओर नजर फेरूँ दादी,

चहुँ ओर नजारा तेरा है ॥


मेरी डोर तुम्हारे हाथों में,

‘स्वाति’ की बसी हो सांसो में,

कहे ‘हर्ष’ वही मुड़ जाती हूँ,

जिसे जगत ईशारा तेरा है,

जिस ओर नजर फेरूँ दादी,

चहुँ ओर नजारा तेरा है ॥


जिस ओर नजर फेरूं दादी,

चहुँ ओर नजारा तेरा है,

सतियों में तू सिरमौर है माँ,

साँचा ये द्वारा तेरा है,

जिस ओर नजर फेरूँ दादी,

चहुँ ओर नजारा तेरा है ॥

कार्तिगाई दीपम क्यों मनाते हैं

कार्तिगाई दीपम पर्व प्रमुख रूप से तमिलनाडु, श्रीलंका समेत विश्व के कई तमिल बहुल देशों में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेय की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

बोला प्रभु से यूँ केवट, यह विनती है सरकार (Bola Prabhu Se Yun Kevat Yah Vinati Hai Sarkar)

बोला प्रभु से यूँ केवट,
यह विनती है सरकार,

इस व्रत से बढ़ता है पति-पत्नी का प्रेम

अनंग त्रयोदशी व्रत में भगवान शिव-पार्वती तथा कामदेव और रति का पूजन किया जाता है। यह दिन प्रेमी जोड़ों के लिए बहुत खास माना गया है। क्योंकि, इस दिन व्रत रखने से जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है।

दिवाली पूजन कथा

सनातन धर्म में दिवाली का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।

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