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जिस घर में मैया का, सुमिरन होता(Jis Ghar Mein Maiya Ka Sumiran Hota)

जिस घर में मैया का,

सुमिरन होता,

उस घर में हर पल,

आनंद होता,

माँ का पावन नाम बड़ा,

मन भावन होता,

जिस घर में मईया का,

सुमिरन होता,

उस घर में हर पल,

आनंद होता ॥


जिसको माँ की दया मिले,

उसकी तो चांदी चांदी है,

अपने भक्त के घर में माँ ने,

सुख की झड़ी लगा दी है,

ख़ुशियों से भर पूर आंगन होता,

उस घर में हर पल,

आनंद होता ॥


जोत नूरानी मैय्या की,

सारे ही कष्ट मिटाती है,

ममता की शीतल छैया में,

मन बगिया खिल जाती है,

मोर बनके नाच रहा तन मन होता,

उस घर में हर पल,

आनंद होता ॥


सारे जग को पालती ये,

अम्बे मात भवानी है,

आठों पहर चरण सेवा में,

रहता ये ‘चोखानी’ है,

बड़ भागी वो जिसे दर्शन होता,

उस घर में हर पल,

आनंद होता ॥


जिस घर में मैया का,

सुमिरन होता,

उस घर में हर पल,

आनंद होता,

माँ का पावन नाम बड़ा,

मन भावन होता,

जिस घर में मईया का,

सुमिरन होता,

उस घर में हर पल,

आनंद होता ॥

अब दया करो हे भोलेनाथ (Ab Daya Karo He Bholenath)

अब दया करो हे भोलेनाथ,
मस्त रहूं तेरी मस्ती में,

ऊँचे ऊँचे पर्वत पे, शारदा माँ का डेरा है (Unche Unche Parvat Pe Sharda Maa Ka Dera Hai)

ऊँचे ऊँचे पर्वत पे,
शारदा माँ का डेरा है,

ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ (O Ganga Tum,Ganga Behti Ho Kiyon)

करे हाहाकार निःशब्द सदा
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ?

श्री रघुपति जी की वंदना (Shri Raghupati Ji Ki Vandana)

बन्दौं रघुपति करुना निधान, जाते छूटै भव-भेद ग्यान॥
रघुबन्स-कुमुद-सुखप्रद निसेस, सेवत पद-पन्कज अज-महेस॥

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