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माँ तू ही नज़र आये(Maa Tu Hi Nazar Aaye)

मुँह फेर जिधर देखूं माँ तू ही नज़र आये,

माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥


गैरो ने ठुकराया अपने भी बदल गये है,

हम साथ चले जिनके वो दूर निकल गये है,

तेरे ही रहम पर हूँ, माँ तेरे ही रहम पर हूँ,

तू बख्श या ठुकराये,

बस तू ही नज़र आये,

मुँह फेर जिधर देखूं मां तू ही नज़र आये,

माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥


माना के मैं पापी हूँ तुझे खबर गुनाहो की,

बस इतनी सजा देना मुझे मेरे खताओं की,

तेरे दर हो सर मेरा, तेरे दर हो सर मेरा,

और साँस निकल जाए,

बस तू ही नज़र आये,

मुँह फेर जिधर देखूं मां तू ही नज़र आये,

माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥


हम ख़ाख़ नशीनो की क्या खूब तमन्ना है,

तेरे नाम से जीना है तेरे नाम पे मरना है,

मरना तो है वो तेरी, मरना तो है वो तेरी,

चौखट पे जो मर जाये,

बस तू ही नज़र आये,

मुँह फेर जिधर देखूं मां तू ही नज़र आये,

माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥


सूरज और चंदा का आँखों में उजाला है,

मस्तक में अग्नि की प्रचंड ज्वाला है,

तेरी नजरे करम हो तो,माँ नजरे करम हो तो,

‘गुरदास’ भी तर जाए,

बस तू ही नज़र आये,

मुँह फेर जिधर देखूं मां तू ही नज़र आये,

माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥


मुँह फेर जिधर देखूं माँ तू ही नज़र आये,

माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥

नारायण कवच (Narayana Kavach)

ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां न्यस्ताङ्घ्रिपद्मः पतगेन्द्रपृष्ठे।

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि , Mahishasuramardini Stotram - Aayi Girinandini

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गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ।

गौरी के लाला हो, मेरे घर आ जाना (Gauri Ke Lala Ho Mere Ghar Aa Jana)

गौरी के लाला हो,
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गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि

सनातन धर्म में गुरु ही हमें सही और गलत की समझ देते हैं और अच्छे-बुरे का अंतर सिखाते हैं। गुरुओं की महत्ता हमारी संस्कृति में सदियों से रही है। यहां तक कि गुरु को भगवान से भी ऊँचा दर्जा प्राप्त है।

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