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मेरा हाथ पकड़ ले रे, कान्हा (Mera Haath Pakad Le Re, Kanha)

मेरा हाथ पकड़ ले रे,

कान्हा दिल मेरा घबराये,

काले काले बादल,

गम के बादल,

सिर पे मेरे मंडराये,

॥ मेरा हाथ पकड़ लें रे, कान्हा...॥


अगर मेरे वश में,

होता कन्हैया,

तो पार लगाता मैं,

खुद अपनी नैया,

यहाँ वहाँ रखूं,

जहाँ जहाँ रखूं,

पाँव फिसलता जाये,

॥मेरा हाथ पकड़ लें रे, कान्हा..॥


अगर आना है तो,

आजा कन्हैया,

पार लगा जा,

बन के खिवैया,

धीरे धीरे करके,

थोड़ा थोड़ा करके,

वक्त गुजरता जाये रे,

॥मेरा हाथ पकड़ लें रे, कान्हा..॥


नहीं आना हो तो,

खबर भेजे देंना,

हालत उठाकर,

नज़र देख लेना,

कही ऐसा ना हो,

तेरे भरोसे,

बनवारी रह जाये रे,

॥मेरा हाथ पकड़ लें रे, कान्हा..॥


मेरा हाथ पकड़ ले रे,

कान्हा दिल मेरा घबराये,

काले काले बादल,

गम के बादल,

सिर पे मेरे मंडराये रे,

॥मेरा हाथ पकड़ लें रे, कान्हा..॥


मेरा हाथ पकड़ ले रे,

कान्हा दिल मेरा घबराये,

काले काले बादल,

गम के बादल,

सिर पे मेरे मंडराये


चाहे सुख हो दुःख हो, एक ही नाम बोलो जी (Chahe Sukh Ho Dukh Ho Ek Hi Naam Bolo Ji)

चाहे सुख हो दुःख हो,
एक ही नाम बोलो जी,

होरी खेली न जाय (Hori Kheli Na Jaay)

नैनन में पिचकारी दई,
मोय गारी दई,

कब है भीष्म द्वादशी

महाभारत में अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या पर लिटा दिया था। उस समय सूर्य दक्षिणायन था। इसलिए, भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया और माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन अपने प्राण त्यागे।

मां अन्नपूर्णा चालीसा (Maa Annapurna Chalisa)

विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।