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ओ शंकर भोले, जपती मैं तुमको हरदम (O Shankar Bhole Japti Main Tumko Hardam)

ओ शंकर भोले,

जपती मैं तुमको हरदम,

दें दो सुन्दर कोई जतन,

जिससे फिर मिल जायें हम,

ओ शंकर भोलें ॥


त्रेता युग में भूल हुई थी,

जाँचा था रामजी को,

त्रेता युग में भूल हुई थी,

जाँचा था रामजी को,

रूप सीता का लिया,

त्यागे मुझको ही शिवा,

ऐसे बीता मेरा वो जनम,

ओ शंकर भोलें ॥


दक्ष पिता जब बने घमंडी,

भूले सती अरु शिव को,

दक्ष पिता जब बने घमंडी,

भूले सती अरु शिव को,

जब मैं वेदी को चली,

सबमें आयी खलबली,

जला अग्नी में मेरा बदन,

ओ शंकर भोलें ॥


पारवती के रूप में जन्मी,

आऊँगी तेरे ही आँगन,

पारवती के रूप में जन्मी,

आऊँगी तेरे ही आँगन,

तेरी पूजा मैं करूँ,

काम दूजा न करूँ,

तुझपे वारूंगी अपना ये तन,

ओ शंकर भोलें ॥


शिवरात्रि के शुभ अवसर पर,

आये शंभु बराती,

शिवरात्रि के शुभ अवसर पर,

आये शंभु बराती,

ताने लोगों से मिले,

वर जोगी से मिले,

सारे संसार के भगवन हो,

ओ शंकर भोलें ॥


ओ शंकर भोले,

जपती मैं तुमको हरदम,

दें दो सुन्दर कोई जतन,

जिससे फिर मिल जायें हम,

ओ शंकर भोलें ॥

शिव के 108 नामों के जाप

26 फरवरी को इस बार महाशिवरात्रि का पर्व है। ये दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक शिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ है।

गणेश जयंती पूजा विधि

सनातन हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान गणेश जी का जन्म माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसे श्रीगणेश के अवतरण-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

नवरात्री वृत कथा (Navratri Vrat Katha)

माँ दुर्गाकी नव शक्तियोंका दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणीका है। यहाँ श्ब्राश् शब्दका अर्थ तपस्या है। ब्रह्मचारिणी अर्थात् तपकी चारिणी-तपका आचरण करनेवाली। कहा भी है वेदस्तत्वं तपो ब्रह्म-वेद, तत्त्व और तप श्ब्राश् शब्दक अर्थ हैं।

भर दों झोली मेरी गणराजा (Bhar Do Jholi Meri Ganraja)

भर दो झोली मेरी गणराजा,
लौटकर मैं ना जाऊंगा खाली,

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